देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू (New Criminal Law) हो चुके हैं. अब आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट जैसी धाराएं खत्म हो चुकी हैं. उसकी जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)ने ले ली है. ये नए तीन कानून सोमवार से ही लागू हुए हैं. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल जरूर होगा कि नए कानून के तहत कितने दिन की रिमांड और हिरासत मिलेगी, क्या ये पुराने कानून जैसी ही होगी या फिर इसमें कुछ अलग प्रावधान है. शाह ने इस भ्रम को भी दूर किया कि नए कानून में हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है. तो बता दें कि नए कानून के तहत अभी भी अधिकतम पुलिस हिरासत 15 दिन ही होगी.
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नए कानून में कितने दिन की पुलिस हिरासत?
बीएनएस के साथ-साथ दो अन्य नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ा दी गई है. उन्होंने कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीआरपीसी की तरह ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) में भी में भी हिरासत अवधि 15 दिन की है. पहले अगर किसी आरोपी को पुलिस हिरासत में भेजा जाता था और वह 15 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती हो जाता था, तो उससे कोई पूछताछ नहीं होती थी, क्योंकि उसकी हिरासत अवधि समाप्त हो जाती थी. बीएनएस में अधिकतम 15 दिन की हिरासत होगी, लेकिन इसे 60 दिन की ऊपरी सीमा के भीतर टुकड़ों में लिया जा सकता है.'
Forensic investigations have been made mandatory in the new laws for crimes punishable by 7 years of imprisonment or more. This will speed up justice delivery and help increase the conviction rate to 90%.#AzaadBharatKeKanoon pic.twitter.com/JhqlzUxui4
— Amit Shah (@AmitShah) July 1, 2024
रिमांड अवधि नहीं बदली तो क्या बदला?
अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस बात की चिंता थी कि बीएनएसएस के तहत किसी भी आरोपी की पुलिस हिरासत की समय सीमा बढ़ जाएगी. लेकिन मैं साफ करना चाहता हूं कि IPC की तरह ही बीएनएस के तहत भी रिमांड 15 दिन की रहेगी. पहले, अगर किसी आरोपी को पुलिस रिमांड पर भेजा जाता था और वह 15 दिनों के लिए अस्पताल में एडमिट हो जाता था, तो कोई पूछताछ नहीं होती थी, क्योंकि उसकी रिमांड अवधि खत्म हो जाती थी. बीएनएस में, अधिकतम पुलिस रिमांड 15 दिन होगी, लेकिन इसे 60 दिनों की ऊपरी सीमा के अंदर टुकड़ों में लिया जा सकता है."
नए कानून पर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने कहा कि नए कानूनों से "सजा के बजाय न्याय" और "देरी के बजाय तुरंत सुनवाई" सुनिश्चित होगी. उन्होंने कहा कि FIR दर्ज होने के तीन साल के भीतर "सर्वोच्च न्यायालय के स्तर तक" न्याय दिया जाएगा. गृह मंत्री ने कहा कि बीएनएस के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आधी रात को 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी के मामले में दर्ज किया गया था. यह केस 1,80,000 रुपये का था. उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ मामला बीएनएस के तहत दर्ज किया गया पहला केस नहीं था. हालांकि इस मामले का निपटारा किया जा चुका है.
बता दें कि बीएनएस, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार को लागू हुए, जिन्होंने ब्रिटिशकालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली.
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