आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा हत्‍याकांड के तीन आरोपियों को दिल्‍ली हाई कोर्ट से मिली जमानत

ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि हुसैन ही वह व्यक्ति था, जिसने भीड़ को हिंदुओं को मारने के लिए उकसाया था. 26 फरवरी, 2020 को, अंकित शर्मा के पिता रविंदर कुमार द्वारा एक एफआईआर दर्ज की गई थी.

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने नाजिम को जमानत देने से इनकार कर दिया.

नई दिल्ली:

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों में आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी है. जस्टिस नवीन चावला ने 2020 उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान शर्मा की हत्या के आरोपी शोएब आलम, गुलफाम और जावेद को जमानत दे दी. वहीं कोर्ट ने नाजिम को जमानत देने से इनकार कर दिया.

पिछले साल मार्च में दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए थे.

कड़कड़डूमा अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने हुसैन सहित 11 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे और कहा था कि उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 153 ए, 302 के साथ 120 बी के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है. हुसैन और नाजिम पर क्रमशः आईपीसी की धारा 505, 109 और 114 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत भी आरोप लगाए गए.

ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि हुसैन ही वह व्यक्ति था, जिसने भीड़ को हिंदुओं को मारने के लिए उकसाया था. 26 फरवरी, 2020 को, शर्मा के पिता रविंदर कुमार द्वारा एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीएए विरोधी और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा चांद बाग पुलिया, मुख्य करावल नगर रोड पर दो-तीन दिनों तक प्रदर्शन चला.

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उन्होंने आरोप लगाया, ''25 फरवरी, 2020 को मेरा बेटा घरेलू सामान खरीदने के लिए बाहर गया, लेकिन काफी देर तक वापस नहीं आया.'' कुमार को स्थानीय लोगों ने बताया कि चांद बाग पुलिया की मस्जिद से एक लड़के को मारकर खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया है. कुमार ने शर्मा की हत्या के पीछे हुसैन और उसके गुंडों का हाथ होने का आरोप लगाया था.