कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि चीतों की मौक अनुपयुक्तता के कारण नहीं है. प्राकृतिक कारणों से हुई चीतों की मौत हुई है. साथ ही इन स्थानों में जीवित रहने की दर भी कम है. हालांकि, ये मृत्यु दर अत्यधिक चिंताजनक नहीं है. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि चीतों की मौत पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में स्थानांतरित किए गए 40 चीतों में से 8 की मौत के लिए आलोचना का सामना कर रहे हैं. पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि इस बात पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि ये मौतें किसी अंतर्निहित अनुपयुक्तता के कारण हुई हैं.
NTCA ने कोर्ट में कहा है कि सामान्य तौर पर चीतों की जीवित रहने की दर बहुत कम है-वयस्कों में यह दर 50% की है. जबकि शावकों में यह लगभग 10% जीवित रहने की संभावना हो सकती है. कोर्ट को बताया गया है कि मौजूदा मृत्यु दर अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है. कूनों नेशनल पार्क में आठ चीतों की मौत पर जांच प्राकृतिक कारणों की ओर इशारा करती है. हलफनामे ने यह स्पष्ट किया गया कि मौतें "अप्राकृतिक कारणों" जैसे अवैध शिकार, शिकार, सड़क पर हमला, बिजली का झटका आदि से नहीं हुईं हैं .
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के कूनों नेशनल पार्क में लगातार हो रही चीतों की मौत के मामले में अपनी चिंता जताई थी. जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 जुलाई को कहा था कि पिछले सप्ताह दो और चीतों की मौतें हुईं है. उन्होंने सवाल किया था कि सभी चीतों को अलग अलग रखने के बजाय एक साथ क्यों गया? इसके लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक साल से भी कम समय में हुई 40 प्रतिशत मौत का आंकड़ा को अच्छी बात नहीं है. केंद्र सरकार की तरफ से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि मामले पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की जाएगी.इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए सरकार अपना पूरा प्रयास कर रही है.
उन्होंने कोर्ट द्वारा मौत के आकड़े को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि फ़िलहाल 20 में से 8 चीतों की मौत हुई है .लेकिन चीतों को नई जगह पर बसाने के दौरान 50 प्रतिशत तक की मौत को सामान्य माना जाता है. बता दें कि जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.
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