उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गाड़ियों की फिटनेस जांचने का तरीका अब पूरी तरह बदला जाएगा. अब गाड़ियों का 'मैन्युअल फिटनेस टेस्ट' (manual fitness test) नहीं होगा इसकी जगह प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सड़क हादसों को रोकने के लिए बड़ा फैसला लिया गया. बैठक में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (एटीएस) को स्थापित करने पर मोहर लगा दी गई है. इसके लिए प्रदेश सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बता दें अभी तक वाहनों की टेस्टिंग मैन्युअल होती थी.
कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि अब गाड़ियों की फिटनेस जांच मैन्युअल नहीं बल्कि मशीनों से की जाएगी. इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश के हर जिले में ऑटाेमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों को स्थापित किया जाएगा. एटीएस को पीपीपी मोड पर हर जिले में स्थापित किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. पहले चरण में प्रदेश में राज्य सरकार के अधीन चलने वाले ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों को छोड़कर प्रदेश के हर जिले में एक-एक एटीएस स्थापित किए जाएंगे. सभी स्टेशन प्रदेश के हर जिले में एक साल में स्थापित कर दिए जाएंगे.
मालूम हो कि राज्य सरकार के ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन लखनऊ, कानपुर और आगरा में प्रस्तावित हैं. वहीं भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इन स्टेशनों की संख्या में इजाफा भी किया जा सकता है. बैठक में बताया गया कि हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों के स्थापित होने से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे. इससे करीब 1500 से अधिक प्रत्यक्ष रूप से रोजगार के साधन सृजित होंगे. स्टेशनों के स्थापित होने से जहां एक ओर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, वहीं वाहनों की टेस्टिंग की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी.
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