बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा दिया है. यूपी सरकार ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. उत्तर प्रदेश सरकार के कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ाया गया है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव से अप्रैल 2020 तक मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाने को कहा था.
लखनऊ की सीबीआई की विशेष अदालत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व सीएम उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास और अन्य पर बाबरी विध्वंस का मुकदमा चल रहा है.
इससे पहले जुलाई माह में स्पेशल जज एसके यादव का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है ताकि वह ट्रायल पूरा कर फैसला सुना सकें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल पूरा कर फैसला नौ महीने के भीतर सुनाया जाए. कोर्ट ने छह महीने में मामले की सुनवाई पूरी करने को कहा था. जस्टिस एसके यादव को 30 सितंबर को रिटायर होना था. जज का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था. यूपी सरकार ने कहा है कि राज्य में किसी जज का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए कोर्ट अपने अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार के तहत यह कर सकता है.
इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि CBI जज एसके यादव जब तक फैसला नहीं देते तब तक उन्हें रिटायर न किया जाए इसके लिए क्या किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि जज एसके यादव के कार्यकाल को कैसे बढ़ाया जा सकता है? साथ ही कानूनी प्रावधान क्या है?
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CBI जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 6 महीने का और समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बेहद जरूरी है कि CBI जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाएं.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जज एसके यादव से पूछा था कि वे किस तरीके से ट्रायल को तय वक्त में पूरा करेंगे. कोर्ट ने सील कवर लिफाफे में जानकारी देने को कहा था. 19 अप्रैल 2017 को दो साल में ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए गए थे. कोर्ट ने जज की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था.
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