
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खराब सड़कों से गुजरने वाले टोल क्यों दें? सड़कें खराब हैं तो सरकार की नीतियों की वजह से, इसकी सरकार भरपाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ के हाईवे एनएच 6 की मरम्मत करने के आदेश दिए हैं और 40 फीसदी के बजाए 20 फीसदी टोल वसूलने की इजाजत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ओवरलोडेड ट्रकों के चलने पर चिंता जताई है और कहा है कि इन ट्रकों की वजह से सड़कों की हालत खस्ता हो रही है। कोर्ट ने कहा कि ओवरलोडेड ट्रक भी भ्रष्टाचार का एक और जरिया हैं और अब इन्हें काबू करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के रायपुर में जर्जर राजमार्ग एनएच 6, जिसे नया एनएच 53 दिया गया है, के मामले की सुनवाई कर रहा है। इस हाईवे का रखरखाव और टोल वसूलने वाली कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके लिए बनाई गई कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि हाईवे पर करीब 25 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क की बुरी हालत है और इसकी मरम्मत करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2 मार्च के नोटिफिकेशन पर भी सवाल उठाए जिसके तहत यहां टोल टैक्स को 40 फीसदी बढ़ाया गया था। कोर्ट ने इसे 20 फीसदी करते हुए कहा कि सड़क खराब है तो लोग पूरा टैक्स क्यों दें? ओवरलोडेड ट्रकों को लेकर कोर्ट ने कहा कि क्यों न हाईवे पर ही वजन करने वाले ब्रिज बनाए जाएं और ओवरलोडेड ट्रकों पर कड़ी कार्रवाई हो। कोर्ट ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून को लागू कराने की है।
बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि सड़कों पर ट्रक 20 टन से ज्यादा वजन लेकर चलते हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती। अब कोर्ट ही कोई मेकेनिज्म तय करेगा। कोर्ट ने पूछा कि आखिर इन्हें काबू करने का तरीका क्या हो? ट्रकों को पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान हो। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मनाली के रास्ते में खुद उन्होंने देखा सीमेंट फैक्टरी के ट्रकों की वजह से सड़क ही नहीं बची। सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर चल रही दो अन्य याचिकाओं को इसमें शामिल कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ओवरलोडेड ट्रकों के चलने पर चिंता जताई है और कहा है कि इन ट्रकों की वजह से सड़कों की हालत खस्ता हो रही है। कोर्ट ने कहा कि ओवरलोडेड ट्रक भी भ्रष्टाचार का एक और जरिया हैं और अब इन्हें काबू करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के रायपुर में जर्जर राजमार्ग एनएच 6, जिसे नया एनएच 53 दिया गया है, के मामले की सुनवाई कर रहा है। इस हाईवे का रखरखाव और टोल वसूलने वाली कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके लिए बनाई गई कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि हाईवे पर करीब 25 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क की बुरी हालत है और इसकी मरम्मत करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2 मार्च के नोटिफिकेशन पर भी सवाल उठाए जिसके तहत यहां टोल टैक्स को 40 फीसदी बढ़ाया गया था। कोर्ट ने इसे 20 फीसदी करते हुए कहा कि सड़क खराब है तो लोग पूरा टैक्स क्यों दें? ओवरलोडेड ट्रकों को लेकर कोर्ट ने कहा कि क्यों न हाईवे पर ही वजन करने वाले ब्रिज बनाए जाएं और ओवरलोडेड ट्रकों पर कड़ी कार्रवाई हो। कोर्ट ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून को लागू कराने की है।
बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि सड़कों पर ट्रक 20 टन से ज्यादा वजन लेकर चलते हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती। अब कोर्ट ही कोई मेकेनिज्म तय करेगा। कोर्ट ने पूछा कि आखिर इन्हें काबू करने का तरीका क्या हो? ट्रकों को पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान हो। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मनाली के रास्ते में खुद उन्होंने देखा सीमेंट फैक्टरी के ट्रकों की वजह से सड़क ही नहीं बची। सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर चल रही दो अन्य याचिकाओं को इसमें शामिल कर लिया।
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