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This Article is From Aug 04, 2024

वक्फ कानून में बदलाव के विरोध में दिए जा रहे बयान बेबुनियाद, महिलाओं को मिलेगी मदद : सूत्र

सूत्रों ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन के पीछे का विचार मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है, जो इस कानून के तहत पीड़ित हैं.

वक्फ कानून में बदलाव के विरोध में दिए जा रहे बयान बेबुनियाद, महिलाओं को मिलेगी मदद : सूत्र
वक्फ कानून में संशोधन का बिल कब पारित होगा, अभी यह तय नहीं है.
नई दिल्ली:

मुस्लिम लॉ बोर्ड की कुछ टिप्पणियों के बाद सूत्रों ने आज NDTV को बताया- यह आरोप कि वक्फ कानून में संशोधन के पीछे सरकार की वक्फ भूमि को हड़पने की चाल है, पूरी तरह से गलत है. सूत्रों ने कहा कि संशोधन के पीछे का विचार मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है, जो कि इस कानून के तहत पीड़ित हैं. 

सूत्रों ने कहा कि कुछ मुस्लिम मौलवियों द्वारा एक "खतरनाक नरैटिव" गढ़ा जा रहा है. वे यह बेबुनियाद बयान दे रहे हैं कि मुस्लिम भूमि छीन ली जाएगी. आज एक बयान में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वक्फ अधिनियम में कोई भी बदलाव या फेरबदल "बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."

लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ एसक्यूआर इलियास ने कहा कि सरकार वक्फ अधिनियम- 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उनका कब्ज़ा आसान हो जाए.

उन्होंने कहा कि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण समझता है कि वक्फ संपत्तियां "धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित मुस्लिम परोपकारियों द्वारा दान की गई हैं. सरकार ने केवल उन्हें रेगुलेट करने के लिए वक्फ अधिनियम बनाया है."

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा. आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों के बंदोबस्त का हो सकता है. 

सूत्रों ने कहा कि पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था और पहला संशोधन 1995 में और फिर 2013 में हुआ. इस बात की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं और आम मुसलमान पूछ रहे हैं कि सरकार मौजूदा वक्फ अधिनियम में बदलाव क्यों नहीं कर रही है.

वक्फ बोर्ड पर ताकतवर मुसलमानों का कब्जा

सूत्रों ने बताया कि एक बार जब जमीन वक्फ के पास चली जाती है तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता. यही कारण है कि शक्तिशाली मुसलमानों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है. सूत्रों ने बताया कि, "महिलाएं और बच्चे पीड़ित हैं. अगर किसी मुस्लिम महिला को तलाक दे दिया जाता है तो उसे और उसके बच्चों को कोई अधिकार नहीं मिलेगा."

रेवेन्यू का कोई हिसाब-किताब नहीं

सूत्रों के मुताबिक, वक्फ कानून में आम मुसलमानों की जगह ही नहीं है, वक्फ में सिर्फ पावरफुल लोग हैं. कितना रेवन्यू होता है, इसको कोई मेजर नहीं करने देता, इसमें गुंडागर्दी और करप्शन है. वक्फ प्रापर्टी की न तो स्टेट, न केंद्र सरकार, न ही अदालत कोई जांच कर पाती है. इस तरह की एक कमेटी होनी चाहिए जो रेवन्यू की जांच करे, वक्फ में ट्रांसेरेन्सी हो.

फैसलों के खिलाफ हाईकोर्ट में की जा सकेगी अपील

प्रस्तावित संशोधन के दो मुख्य भाग हैं - पहली बार वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान और यह सुनिश्चित करना कि भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन किया जाए. अब वक्फ और काउंसलिंग, दोनों में महिलाओं को रखा जाएगा, जो कि अब तक नहीं होता था. वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ अब हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है, जो कि पहले नहीं होता था. सूत्रों ने बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसे कब पारित किया जाएगा.

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