जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गतिविधियां देख नजर आता है कि उन्होंने अपना फोकस और पैटर्न दोनों बदल दिये हैं. आतंकी अब कश्मीर की जगह जम्मू पर फोकस कर रहे हैं. साथ ही ये हाई वैल्यू टारगेट पर अटैक कर रहे हैं, ताकि सुर्खियां बटोरी जा सकें. सोमवार शाम जम्मू-कश्मीर के डोडा में सेना और आंतकियों के बीच हुई मुठभेड़ में सेना के एक अधिकारी समेत 4 जवान शहीद हो गए हैं. ये मुठभेड़ अबतक जारी है, और पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली गई है. सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस का ये साझा ऑपरेशन था. सूचना है कि डोडा के घने जंगलों में कुछ आतंकी छिपे हो सकते हैं. पिछले कुछ दिनों में जम्मू में ऐसी आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं और आतंकी संगठन नाम बदलकर हमलों की जिम्मेदारी ले रहे हैं. डोडा हमले की जिम्मेदारी भी 'कश्मीर टाइगर्स' ने ली है.
घात लगाकर बैठे थे आतंकी
सेना की ओर से डोडा मुठभेड़ को लेकर अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि शहीद हुए जवानों में सेना के एक मेजर और तीन सैनिक शामिल हैं. डोडा के घने जंगलों में पिछले 11 घंटों से ये मुठभेड़ चल रही है. डोडा के देसा इलाके में आतंकियों के होने की खबर स्थानीय पुलिस को मिली थी. इसके बाद स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर सेना ने इस इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. आतंकी यहां घात लगाकर बैठे थे, जिन्होंने सुरक्षाबलों के जवानों पर फायरिंग की, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए हैं. सूचना के मुताबिक, लगभग 25 आतंकियों का ग्रुप इस समय घाटी में मौजूद है, जो हमलों को अंजाम दे रहा है. ये पाकिस्तान समर्थित आतंकी है, जो नाम बदलकर ऑपरेट कर रहे हैं.
आतंकी नेटवर्क को इतना बढ़ावा कहां से मिल रहा?
डोडा के घने जंगलों में आतंकी घात लगाकर बैठे थे. आतंकियों को एडवांटेज थी, क्योंकि वे पहले से ही वहां छिपे बैठे थे. सेना के जवान जब घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन पर हमला हो गया. इस हमले में 4 जवान शहीद हो गए हैं और एक जवान गंभीर रूप से घायल है. ये हमला इस मामले में भी बड़ा है, क्योंकि पिछले हफ्ते ही कठुआ में सेना के वाहन पर हमला हुआ था, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे. ये बहुत चिंता का विषय है कि आतंकियों का फोकस अब कश्मीर को छोड़कर जम्मू हो गया है. पिछले एक महीने की बात करें, तो जम्मू-कश्मीर में ये 9वां बड़ा हमला है. आखिर आतंकी नेटवर्क को इतना बढ़ावा कहां से मिल रहा है? पूरा चिनार वेली का रीजन, जिसमें डोडा, किश्तवाड़, रियासी और कठुआ शामिल है, यहां आतंकी नेटवर्क फिर से एक्टिव हो गए हैं. 2000 के दशक में यहां से आतंकवाद लगभग खत्म-सा हो गया था. गलवान और डोकलाम के दौरान यहां से सेना की कुछ टुकडि़यां निकाली गई थीं.
कश्मीर से हटकर जम्मू पर फोकस क्यों?
पिछले कुछ दिनों से एक बड़ा ग्रुप है, जो राजौरी पुंछ, कठुआ और डोडा के अलग-अलग क्षेत्रों में ऑपरेट कर रहा है. गांववाले लगातार आतंकियों की जानकारी सेना को दे रहे हैं. दरअसल, अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर कश्मीर में सेना ने सुरक्षा काफी कड़ी कर रखी है. ऐसे में वहां आतंकियों को मौका मिल पाना बेहद मुश्किल है. ऐसे में आतंकियों ने जम्मू को टारगेट करना शुरू किया है. जम्मू में काफी भीड़-भाड़ रहती है, ऐसे में आतंकियों की पहचान करने में मुश्किल आती है.
डोडा में आतंकियों को तलाशना क्यों हो रहा मुश्किल
डोडा बहुत बड़ा इलाका है. अगर इसके एरिया की बात करें, तो यह कश्मीर के लगभग बराबर है. ये पूरा पहाड़ी इलाका है, जिसमें घने जंगल भी हैं. इसका एक किनारा हिमालय से मिलता है, दूसरा कठुआ और सियासी से मिलता है. इस क्षेत्र में कई प्राकृतिक गुफाएं हैं, जहां आसानी से छिपा जा सकता है. घने जंगल होने की वजह एरियल सर्वे भी बेहद मुश्किल है. ऐसे में आतंकियों के छिपने के लिए इसे मुफीद जगह कहा जा सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकियों का कैरेक्टर बदल गया है. आतंकी अब नाम बदलकर भी हमले कर रहे हैं. ये हाई वैल्यू टारगेट पर अटैक कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा सुर्खियां इनको मिल सकें. डोडा हमले की जिम्मेदारी भी 'कश्मीर टाइगर' नामक आतंकी संगठन ने ली है. सेना का कहना है कि आतंकियों के पैटर्न को जानकर उन्हें माकूल जवाब दिया जाएगा.
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