अहमदाबाद : गुजरात में बब्बर शेरों की संख्या में भारी बढ़ोतरी की घोषणा के दो सप्ताह के भीतर ही गुजरात सरकार ने नए इलाकों में इनके संवर्धन के लिए एक टास्क फोर्स बना दिया है।
शेरों की बस्ती का जो इलाका कुछ समय पहले तक सिर्फ 1,400 वर्ग किलोमीटर के गीर के जंगलों तक सीमित था, वह अब बढ़कर 22,000 वर्ग किलोमीटर इलाके यानि कुल 8 जिलों में फैल गया है। ऐसे में शेर और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ना लाज़िमी है।
इस टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य यह रहेगा कि आने वाले समय में शेरों की बढ़ती आबादी की वजह से इंसानों से टकराव की आशंकाएं कम की जा सकें। पिछले दो सालों में ऐसे 150 से ज्यादा मामले सामने भी आए हैं।
टास्क फोर्स को खास मुद्दों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है। गीर के आसपास के इलाकों में जो संरक्षित इलाके हैं, वहां शेरों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि मानव बस्ती वाले इलाकों में शेर न जाएं और जंगल के इलाकों में ही रहें। जिन इलाकों में शेरों की संख्या बढ़ रही हैं, वहां एक लायन कोरीडोर बनाया जाएगा, ताकि वहां उनके बसने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।
गीर के जंगलों के दायरे से बाहर निकलकर शेर 22,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैल गए हैं। इनकी संख्या 2010 में 411 से बढ़कर 2015 में 523 हो गई है, यानि 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें भी नर शेरों की संख्या 97 से बढ़कर 109 हो गई है, यानि करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
शावकों की संख्या में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह संख्या 152 से 213 हो गई है। आने वाले तीन सालों में ये शावक भी प्रजनन के लिए तैयार होंगे तो इनकी संख्या और तेज़ी से बढ़ेगी।
शेरों की बस्ती का जो इलाका कुछ समय पहले तक सिर्फ 1,400 वर्ग किलोमीटर के गीर के जंगलों तक सीमित था, वह अब बढ़कर 22,000 वर्ग किलोमीटर इलाके यानि कुल 8 जिलों में फैल गया है। ऐसे में शेर और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ना लाज़िमी है।
इस टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य यह रहेगा कि आने वाले समय में शेरों की बढ़ती आबादी की वजह से इंसानों से टकराव की आशंकाएं कम की जा सकें। पिछले दो सालों में ऐसे 150 से ज्यादा मामले सामने भी आए हैं।
टास्क फोर्स को खास मुद्दों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है। गीर के आसपास के इलाकों में जो संरक्षित इलाके हैं, वहां शेरों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि मानव बस्ती वाले इलाकों में शेर न जाएं और जंगल के इलाकों में ही रहें। जिन इलाकों में शेरों की संख्या बढ़ रही हैं, वहां एक लायन कोरीडोर बनाया जाएगा, ताकि वहां उनके बसने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।
गीर के जंगलों के दायरे से बाहर निकलकर शेर 22,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैल गए हैं। इनकी संख्या 2010 में 411 से बढ़कर 2015 में 523 हो गई है, यानि 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें भी नर शेरों की संख्या 97 से बढ़कर 109 हो गई है, यानि करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
शावकों की संख्या में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह संख्या 152 से 213 हो गई है। आने वाले तीन सालों में ये शावक भी प्रजनन के लिए तैयार होंगे तो इनकी संख्या और तेज़ी से बढ़ेगी।
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