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सुखबीर बादल से पहले कौन-कौन बने तनखैया? महाराजा रणजीत सिंह पर क्यों बरसे थे कोड़े?

Tankhaiya Maharaja Ranjit Singh : तनखैया होना सिख धर्म में सबसे बड़ा अभिशाप माना जाता है. कारण ऐसा होने पर धर्म और समाज उस व्यक्ति को सजा पूरी करने तक बहिष्कृत कर देता है. जानें कौन-कौन घोषित हुए तनखैया...

सुखबीर बादल से पहले कौन-कौन बने तनखैया? महाराजा रणजीत सिंह पर क्यों बरसे थे कोड़े?
सुखबीर बादल से पहले महाराज रणजीत सिंह को भी तनखैया घोषित किया गया था.

Tankhaiya Sukhbir Badal : पंजाब के जालंधर में श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय में शुक्रवार को पांच सिंह साहिबानों ने बैठक की. बैठक में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को तनखैया (दोषी) ठहराया गया. सुखबीर बादल को उनकी सरकार के कार्यकाल में हुई सांप्रदायिक गलतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि आज पांचों सिंह साहिबानों की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि सुखबीर बादल ने राज्य के उपमुख्यमंत्री और अकाली दल के अध्यक्ष के तौर पर ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक को नुकसान हुआ और अकाली दल की हालत बहुत खराब हो गई व सिख हितों को नुकसान पहुंचा. इसलिए सुखबीर बादल को तनखैया करार दिया जाता है. इस फैसले के तुरंत बाद ट्वीट कर सुखबीर बादल ने माफी मांगी और कहा कि वह आदेश को स्वीकार करते हैं और श्री अकाल तख्त के सामने आकर माफी मांगेंगे.

किस मामले में हुई सजा?

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ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि उस समय के सिख कैबिनेट मंत्री 15 दिनों के अंदर हलफनामा दें और सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिंह साहिबान और श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष एक आम सिख की तरह पेश होकर अपने अपराध के लिए माफी मांगें. इससे पहले, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर समेत शिरोमणि अकाली दल के बागी नेता एक जुलाई को जत्थेदार के समक्ष पेश हुए थे. उन्होंने 2007 से 2017 के बीच पार्टी के शासन के दौरान की गई चार गलतियों के लिए माफी मांगी थी. इन गलत‍ियों में 2015 की बेअदबी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित नहीं करना और 2007 के ईशनिंदा मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करना शामिल है. नेताओं ने इन "गलतियों" के लिए तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को ज‍िम्मेदार ठहराया था.

महाराजा पर बरसे से कोड़े

शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह काफी धार्मिक प्रवृत्ति के थे. एक बार उन्हें मोरा नाम की एक मुसलमान स्त्री मिली. उसने महाराज से विनती की कि वह उसके घर किसी दिन आएं. महाराज स्त्री की विनती को दरकिनार न कर सके और उसके घर चले गए. इस कारण से उन्हें तनखैया करार दिया गया और सजा के तौर पर उस समय के श्री अकाल तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार फूला सिंह ने महाराज की पीठ पर कोड़े मारे और हर्जाना लिया. तब जाकर महाराज को माफी मिली थी. 

जैल सिंह, अमरिंदर भी थे तनखैया

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ऑपरेशन ब्लू स्टार तो सभी को याद होगा. उस समय भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह थे. इस ऑपरेशन के बारे में दावा किया जाता है कि ज्ञानी जैल सिंह को पता नहीं था. श्री हरिमंदिर साहिब पर हुए सैन्य कार्रवाई के अगले दिन वहां का दौरा करने ज्ञानी जैल सिंह पहुंच गए. इससे वहां के लोगों को लगा कि ज्ञानी जैल सिंह ऑपरेशन ब्लू स्टार की सांत्वना देने और कांग्रेस को बचाने के लिए आए हैं. साथ ही एक वीडियो और फोटो भी काफी लोगों ने देखा कि ज्ञानी जैल सिंह स्वर्ण मंदिर के अंदर जूते पहनकर लोगों से बात कर रहे हैं तथा उनके लिए किसी ने छाता भी पकड़ रखा है. इसके बाद 2 दिसंबर 1984 को उन्हें तनखैया घोषित किया गया.  उनका बहिष्कार किया गया. इसके अलावा ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण ही पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आदि को भी तनखैया घोषित किया जा चुका है. 

तनखैया होने के मायने

तनखैया का मतलब होता है धर्म और समाज से निष्कासित करना. आरोपी अगर सजा का पालन नहीं करता, तो उसे समाज से बेदखल कर दिया जाता है. उसे किसी भी गुरुद्वारे में आने की इजाजत नहीं दी जाती. कोई सिख उससे संपर्क नहीं रखता और न ही तनखैया के घर या किसी आयोजन में शिरकत करता है. इस तरह वह व्यक्ति अपने ही समाज से बिल्कुल कट जाता है. सजा पूरी करने और माफी मांगने के बाद तनखैया से मुक्ति मिलती है.

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