
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह की याचिका खारिज कर दी.
- कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को आयकर विभाग के पास मौजूद फ्रांस सरकार की दी गई दस्तावेज देखने का अधिकार दिया.
- मामला विदेशी संपत्तियों और खातों से जुड़ा है जिनके संबंध स्विट्जरलैंड और दुबई से बताए जा रहे हैं.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ी राहत देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने साफ कहा कि ED को आयकर विभाग के पास मौजूद वे दस्तावेज देखने का अधिकार है, जो फ्रांस सरकार ने भारत को दिए थे. यह मामला विदेशी संपत्तियों और खातों से जुड़ा है, जिनके तार स्विट्जरलैंड और दुबई से जुड़े बताए जा रहे हैं.
क्या है सारा मामला
आयकर विभाग ने इस मामले में अमरिंदर और रणइंदर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आयकर कानून की धारा 277 और आईपीसी की कई धाराएं लगाई गई हैं. ED, जो इसी मामले में FEMA के तहत जांच कर रही है, उसने ट्रायल कोर्ट में आयकर विभाग द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों को देखने की परमिशन मांगी थी. पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट और फिर रिविजनल कोर्ट ने ED की मांग को मंजूरी दी थी. इसी आदेश को अमरिंदर और रणइंदर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उनका तर्क था कि फ्रांस से मिली गुप्त जानकारी केवल आयकर विभाग के इस्तेमाल के लिए है और इसे ED के साथ साझा करना भारत-फ्रांस के टैक्स ट्रीटी (Double Tax Avoidance Agreement, 1994) का उल्लंघन होगा.
सार्वजनिक नहीं होगी जानकारी
लेकिन जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने यह दलील खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा, 'इस मामले में ED को रिकॉर्ड देखने से रोका नहीं जा सकता. ये जानकारी किसी निजी व्यक्ति के साथ साझा नहीं की जा रही, बल्कि राज्य की एक एजेंसी को जांच के लिए दी जा रही है.' साथ ही कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि ED केवल दस्तावेजों का निरीक्षण और जांच के लिए इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं कर सकती जब तक कानून इसकी अनुमति न दे.
इस केस में अमरिंदर और रणइंदर की ओर से वकील गुरमोहन सिंह बेदी, अमनदीप एस तलवार, पवनदीप सिंह, आनंद वी खन्ना और अंबिका बेदी पेश हुए. वहीं ED और आयकर विभाग की तरफ से विशेष काउंसल जोहेब हुसैन, सीनियर पैनल काउंसल लोकेश नारंग और वकील विपुल जोशी ने पक्ष रखा.
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