तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम (O. Panneerselvam) और 10 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पीकर पी. धनपाल (P. Dhanpal) को फटकार लगाई. कोर्ट ने स्पीकर से पूछा कि पिछले तीन वर्षों में 11 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. कोर्ट ने कहा कि यह देरी अनावश्यक थी, तीन साल की इस देरी से बचना चाहिए था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि एक स्पीकर तीन साल तक ऐसी याचिकाओं पर चुप नहीं बैठ सकता है. स्पीकर इन चीजों को अनिश्चितकाल तक अपने डेस्क पर नहीं रहने दे सकता. अदालत ने स्पीकर को सूचित करने के लिए 14 फरवरी तक का समय दिया है कि वह इस मामले में कब फैसला करेंगे. दरअसल DMK ने स्पीकर द्वारा देरी पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया है. इन 11 विधायकों ने 2017 में एक कॉन्फिडेंस मोशन में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीसामी (K. Palaniswami) के खिलाफ वोट दिया था.
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प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे (Justice S.A. Bobde) की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने DMK की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) की इस दलील का संज्ञान लिया कि अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिका अध्यक्ष के समक्ष मार्च 2017 में पेश की गई थी और लगभग तीन वर्षों के बाद भी अध्यक्ष ने इस याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की. पीठ ने DMK की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को अपना जवाब रखने को कहा है. न्यायालय ने याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी तय की है.
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