विज्ञापन
This Article is From Mar 31, 2017

नोटबंदी का आखिरी दिन : PM से भी नाराज़ हैं, मीडिया से भी - व्यथा उनकी, जिनके नोट नहीं बदले गए...

नोटबंदी का आखिरी दिन : PM से भी नाराज़ हैं, मीडिया से भी - व्यथा उनकी, जिनके नोट नहीं बदले गए...
नोटबंदी के बाद, अब राजस्थान के झुंझुनूं से आए इस बुज़ुर्ग के 10,500 रुपये के पुराने नोट नहीं बदले जा रहे हैं...
नई दिल्ली: "सुबह 7 बजे से लाइन में लगा था, लेकिन धक्का मारकर निकाल दिया... मुझे बोला, यहां से जाओ, तुम्हारा नोट चेंज नहीं हो पाएगा... मेरे पास कोई और चारा भी नहीं है... क्या करूं, कहां जाऊं... यह मेरी मेहनत की कमाई है... दो दिन से यहीं आ रहा हूं, कल रात स्टेशन पर सोया था, पांच रुपये के चने खाए थे... मेरे पास और पैसे भी नहीं हैं... बीमार हूं..."

दिल्ली स्थित रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के सामने राजस्थान के झुंझुनूं से आए बुज़ुर्ग रोते-रोते अपनी रामकहानी बयां कर रहे थे... दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर बसा है झुंझुनूं, लेकिन इस बुज़ुर्ग के लिए दूरी से ज़्यादा अहम हैं उनकी मेहनत की कमाई... 75 साल के इस बुज़ुर्ग की आंखों में आंसू हैं, और बैंक के पास एक पेड़ के नीचे बैठ अपनी व्यथा बयान कर रहे हैं... पहले वह अपने पुराने नोट लेकर जयपुर गए थे, लेकिन जब वहां काम नहीं हो पाया, तो दिल्ली आना पड़ा... 45 रुपये का टिकट लेकर ट्रेन की जनरल बोगी में बैठकर दिल्ली पहुंचना भी इस बुज़ुर्ग के लिए आसान नहीं था, लेकिन ट्रेन के इस मुश्किल सफर से भी ज़्यादा ज़रूरी था, 10,500 रुपये के पुराने नोट बदलना... 40 साल तक एक स्कूल में काम करने के बाद अब उन्हें सिर्फ 500 रुपये पेंशन मिलती है....

इस बुज़ुर्ग का कहना है, नोटबंदी के बाद जितने भी पुराने नोट घर में थे, वे बदल लिए गए, लेकिन कुछ नोट चोरों से बचाने के लिए पूजा के सामान के किसी कार्टन में रख दिए थे, और भूल गए... नियमों के हिसाब से अब ये नोट नहीं बदले जा सकते, क्योंकि 31 दिसंबर के बाद से रिज़र्व बैंक में सिर्फ एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) के नोट बदले जा रहे हैं... यह जानने के बाद भी कि वह अपने नोट नहीं बदल सकते, इस बुज़ुर्ग ने उम्मीद नहीं छोड़ी है, और अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते हैं... बार-बार कहते हैं, "मैंने मोदी जी को वोट दिया है, उनके लिए वोट मांगा भी है... उनसे मिलूंगा, उनसे बात करूंगा, उनके सेक्रेटरी का नंबर है मेरे पास..."

जाते-जाते बोले, "मोदी जी से मिलने जा रहा हूं..." जब मैंने पूछा कि क्या मोदी जी आपसे मिलेंगे, तो जवाब मिला, "क्यों नहीं मिलेंगे... वह मुझे जानते हैं... अगर भूले नहीं होंगे, तो ज़रूर मिलेंगे..."
 
demonetisation rbi

यह कहानी इन्हीं बुज़ुर्ग की नहीं, बहुतों की है... इनमें से कोई उत्तर प्रदेश से आया है, कोई बिहार से... देश के अलग-अलग कोनों से आए लोग अपने-अपने पुराने नोट बदलने रिज़र्व बैंक पहुंचे हैं, लेकिन नोट नहीं बदले जा रहे हैं... इन्हीं बुज़ुर्गवार की तरह हरियाणा के मेवात जिले से 90 साल की जुमरत अपने शौहर के साथ नोट बदलवाने आई हैं, लेकिन नतीजा वही... एक पेड़ के नीचे बैठी हैं, और बार-बार यही कह रही हैं कि वह भूल गई थीं कि उनके पास कुछ पुराने नोट अब भी बच गए हैं... अपने गांव के सरपंच से हलफनामा भी लिखवाकर लाई हैं, जिसमें दर्ज है कि जुमरत हरियाणा के औथा गांव की रहने वाली हैं, उम्र 90 साल है, और घर की सफाई करते वक्त उन्हें 23,000 रुपये के पुराने नोट मिले हैं... जुमरत और उनका परिवार बेहद गरीब है, सो, कृपया इनके नोट बदल दिए जाएं...

लेकिन आरबीआई के नियम निश्चित रूप से सरपंच के हलफनामे से ज्यादा ताकतवर हैं, सो, अब जुमरत को नहीं पता, इन नोटों का क्या करना है... बार-बार पूछ रही हैं कि क्या कर सकती हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है...
 
demonetisation rbi

यह हैं रामकुमार, जो मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और मज़दूरी करते हैं... रामकुमार 44,000 रुपये के पुराने नोटों के साथ रिज़र्व बैंक के सामने पांच दिन से मौजूद हैं... दरअसल, कुछ ही दिन पहले रामकुमार के पिता का देहांत हुआ, और जब वह उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद करवाने के लिए बैंक गए, तो बैंक वालों ने पासबुक मंगवाई, और घर में पासबुक ढूंढते-ढूंढते पिताजी के बक्से में ये पुराने नोट निकल आए... इसके बाद रामकुमार ने पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर भोपाल का रास्ता पकड़ा, लेकिन वहां नोट नहीं बदल पाए, तो उन्हें भी दिल्ली आना पड़ा... अब पांच दिन से रिज़र्व बैंक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन परिणाम वही है, जो शेष सभी का है... रामकुमार का कहना है कि यह रकम उनके पिताजी की कमाई है, और पिताजी ने किसी को इसके बारे में नहीं बताया था... अगर उन्होंने पहले बता दिया होता, तो वह इन्हें भी पहले ही बदलवा चुके होते...
 
demonetisation rbi

रिज़र्व बैंक के सामने एक और महिला भी मिलीं, जो कई अन्य की तरह रो रही हैं... दरअसल, कुछ दिन पहले उनकी 12-वर्षीय बेटी की बीमारी के बाद मौत हो गई थी, जिसका इलाज करवाने के चक्कर में वह नोटों को बदल नहीं पाईं... वह भी सभी से पूछती फिर रही हैं कि वह इन नोटों का अब क्या करें...

नज़फगढ़ के रहने वाले तिवारी जी भी अपने 16,000 रुपये बदलवाने के लिए कई दिन से चक्कर काट रहे हैं... उनकी पत्नी गोंडा गई हुई थीं, और जब वह लौटीं, तो उन्होंने अपने पास रखे 16,000 रुपये के पुराने नोटों के बारे में बताया... लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, और आम जनता के लिए रिज़र्व बैंक में भी पुराने नोटों को बदलना बंद कर दिया गया था... इसके बाद तिवारी जी ने प्रधानमंत्री को खत लिखा, जिसमें अपनी समस्या बताई... लेकिन अब तिवारी जी गुस्से में हैं, क्योंकि न उनके खत का कोई जवाब आया है, न उनके नोट बदले जा रहे हैं... तिवारी जी बार-बार इन नोटों को आग लगा देने की बात भी कह रहे हैं...

रिज़र्व बैंक के सामने मौजूद परेशान लोगों को मीडिया से भी शिकायतें हैं... वैसे, आम जनता के लोग तो मीडिया को देखते ही अपनी-अपनी समस्याएं बयान कर ही रहे थे, लेकिन समस्या एनआरआई को भी हो रही है... बहुतों को यही नहीं पता कि उन्हें कौन-कौन से दस्तावेज़ लेकर आने हैं... इन्हीं में से कुछ मीडिया से भी खफा नज़र आए... उनका कहना था, वे लोग कई-कई दिन से लाइन में खड़े हैं, और नोट नहीं बदल पा रहे हैं, लेकिन मीडिया ने यह सब कतई नहीं दिखाया... कुछ ने तो आरोप तक लगाया कि मीडिया बिक चुका है, और उन्हें सिर्फ सरकार की अच्छाइयां दिखाई देती हैं, गरीबों की परेशानियां नहीं...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com