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जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में रविवार शाम आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर गोलीबारी की, जिससे बस खाई में जा गिरी. आतंकियों की फायरिंग और बस के खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 41 अन्य घायल हुए हैं. जिस वक्त आतंकियों ने गोलाबारी की उसी दौरान बस खाई में जा गिरी. बस के तीर्थयात्री चीखते-चिल्लाते रहे. इसके बावजूद भी आतंकी बड़े बेरहमी के साथ छोटे बच्चे और बाकी तीर्थयात्रियों पर गोली बरसाते रहे. शिवखोड़ी से लौटते हुए तीर्थयात्रियों पर आतंकियों ने 100 से भी ज्यादा फायर किए. इस हमले ने हर किसी को गमगीन कर दिया है. ये आतंकी हमला कितना भयावह था, यहां उन लोगों की आपबीती जानिए, जो इस हमले में खुद को किसी तरह बचा पाए.
आतंकी हमले में जिंदा बचे लोगों ने बताई आपबीती
आंखें बंद कर किया मौत का नाटक
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के कुलेसरा की रहने वाली 28 वर्षीया और उसकी बहन बस में कटरा जा रही थीं, जब रविवार शाम को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बस पर घात लगाकर हमला किया गया और उन पर अंधाधुंध फायरिंग की. मीरा ने बताया, "कम से कम 25-30 गोलियां लगीं," उन्हें सीने में छर्रे लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
मीरा की बहन लक्ष्मी देवी (38) के हाथ में गोली लगी है और उनके साथ रहने वाले पड़ोसी बंटी गुप्ता के कंधे पर गोली लगी है. मीरा ने कहा कि बस के खाई में गिरने और गोलियों की आवाज कुछ देर के लिए रुकने के बाद मैंने बंटी को अपनी ओर आते देखा. उन्होंने बताया कि वह मुझे और लक्ष्मी को बस की खिड़की से बाहर खींचकर पास के एक पेड़ पर ले गया. जब हम वहां बैठे थे, तो हमने फिर से गोलीबारी की आवाज सुनी. हम खून से लथपथ हो चुके थे और बहुत दर्द में थे, लेकिन हम शांत रहे और हमने जिंदा बचने के लिए मरने का नाटक किया.
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मीरा, लक्ष्मी और बंटी 6 जून को दिल्ली से ट्रेन से जम्मू के लिए निकले थे. 8 जून को वैष्णो देवी मंदिर और रविवार सुबह शिवखोड़ी मंदिर के दर्शन करने के बाद वे कटरा जा रहे थे, तब उन पर आतंकी हमला हुआ. मीरा ने कहा, "हमारे आसपास शव पड़े थे, कुछ हमले में बच गए लोग भी पेड़ों से लटके हुए थे. मैं बस यही प्रार्थना कर रही थी कि यह सब जल्दी खत्म हो जाए."
खून से लथपथ बंटी ने कहा कि उसने एसओएस नंबर पर कॉल करने की कोशिश की, लेकिन नेटवर्क नहीं था. उन्होंने कहा, "मैंने 112 नंबर डायल किया और दूसरी तरफ से पुलिस ने कहा कि वे जल्द ही आ रहे हैं. करीब 30 मिनट तक मैं वहीं लेटा रहा और इंतजार करता रहा, धीरे-धीरे गोलीबारी बंद हो गई." चार अधिकारियों की टीम के साथ कटरा पहुंचे नोएडा के एडीएम (न्यायिक) भैर पाल सिंह ने कहा कि जब बंटी किसी तरह खाई में चढ़ने में कामयाब हो गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा, तो कुछ स्थानीय लोग बाहर आए और बस में फंसे लोगों को बचाने लगे.
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दो मासूमों के सिर से उठा पिता का साया
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक इस आतंकी हमले में दो मासूमों के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया. दरअसल बस को चलाने वाले ड्राइवर विजय को आतकिंयों ने सबसे पहले गोली मारी. जैसे ही उन्होंने गोली लगी, बस आई में जा गिरी और विजय की मौत हो गई. बस ड्राइवर विजय के दो बच्चे हैं, जिनमें से एक छह साल का है वहीं दूसरा बच्चे की उम्र तीन साल है. छह महीने पहले ही विजय के पिता की भी मौत हो गई थी. अब विजय की मौत से पूरे परिवार पर गमों का पहाड़ टूट गया है.
आतंकी हमले ने छीन लिया बूढ़े माता-पिता का सहारा
इस हमले में बस के सह चालक अरुण की भी गोली लगने से मौत हो गई. अरुण के परिवार में तीन बहने हैं और उसके बूढ़े मां बाप भी है. जिनसे उनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया. अरुण अपने घर में सबसे छोटा था. अरुण घर चलाने के लिए कंडक्टरी का काम कर रहा था. जिस बस पर आतंकी हमला हुआ, उस पर वह तीन महीने से काम कर रहा था.
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जिस बेटे के लिए मांगी थी दुआ, उसे मां के सामने लगी गोली
हर मां को दुनिया में अपने बेटे से प्यारा कुछ और नहीं होता. अस्पताल में जिदंगी के लिए जूझ रहे बेटे को बचाने के लिए शारदा देवी ने माता वैष्णो देवी से प्रार्थना की थी कि वो बेटे के ठीक होने पर मां के दर्शन के लिए आएगी. उन्होंने मां वैष्णो देवी के दर्शन भी कर लिए, लेकिन रविवार शाम को रियासी के शिवखोड़ी से लौटते समय आतंकी हमले में बेटे की मौत हो गई. आतंकियों ने उनकी आंखों के सामने बेटे को गोली मार दी. इस हमले में उसकी भांजी की भी जान चली गई, लेकिन अभी उन्हें इस बारे में नहीं बताया है. शारदा की गमगीन आंखें अभी भी आंखें अपने बेटे और भांजी को खोज रही हैं.
शारदा ने बताया कि जब आतंकियों ने गोलियां चलाई तो एक गोली उसके बेटे को लगी और वह नीचे गिर गया. उसके बाद क्या हुआ, पता नहीं. शारदा का कहना है कि 14 वर्ष पहले जब उनके घर में किलकारियां गूंजी थी तब अनुराग को पेट में इंफेक्शन हो गया था, तब उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी, इसलिए कई वर्ष तक उसका इलाज चला. तब उन्होंने मन्नत मांगी थी कि बेटा ठीक होने के बाद माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाएंगे. बेटा ठीक हो गया और वो स्कूल में भी जाने लगा. शारदा ने बताया कि हम पहली बार वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आए थे.
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अपने पति के बारे में बार-बार पूछ रही है शिवानी
दिल्ली की रहने वाली शिवानी की डेढ़ वर्ष पहले शादी हुई है. शिवानी भी माता के दर्शन के लिए पहुंची थी, जो इस आतंकी हमले का शिकार हुई. 24 वर्षीय शिवानी की हालत अब स्थिर है, लेकिन इस हमले का ऐसा असर हुआ वो अभी भी घबराई हुई है. बेड पर बैठे शिवानी की निगाहें अपने पति सौरभ को ढूंढ रही हैं. शिवानी ने बताया कि सौरभ और वह एक ही सीट पर थे, उसे लगा कि एक गोली उसके पति को भी लगी है, लेकिन हमले के बाद उसे पता नहीं चला कि क्या हो गया. जब होश आया तो खुद को जम्मू के मेडिकल कालेज में पाया. उनके पति कहां है, कुछ पता नहीं. इस आतंकी हमले में शिवानी के पति की मौत हो गई है, लेकिन देर शाम तक उसे इसकी जानकारी नहीं दी गई.
आतंकी तभी रुके जब उन्हें लगा कि सब मर गए
बलरामपुर के संतोष वर्मा भी बस में सवार थे, उन्होंने बताया कि सड़क पर खड़े एक आतंकवादी ने बस चालक पर गोली चलाई, जिससे ड्राइवर अपनी सीट पर गिर गया और बस पलट गई. बस के खाई से नीचे गिरने के बाद भी आतंकवादी लगातार गोलियां चलाता रहा. वहीं मेरठ के प्रदीप कुमार ने बताया कि मैं उठा तो पाया कि सभी चिल्ला रहे थे... जैसे ही बस नीचे गिरी और हमलावर आ गए और हम पर गोलियां चलाने लगे. वे तभी रुके जब यात्रियों ने चिल्लाना बंद कर दिया, उन्हें लगा कि अब सभी मर चुके हैं.
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