नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने सांसदों और विधायकों सहित तमाम ऐसे व्यक्तियों को भी पुलिस सुरक्षा दिए जाने पर असहमति व्यक्त की है जिनकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकारों से ऐसे व्यक्तियों के नामों का विवरण मांगा है जिनकी सुरक्षा का खर्च सरकार वहन कर रही है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि सांविधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों या ऐसे व्यक्तियों को, जिनकी जिंदगी को खतरा हो, पुलिस सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधान न्यायाधीश, सांविधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और राज्यों में ऐसे ही समकक्ष पदों पर आसीन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। लेकिन हर आम और खास व्यक्ति को लाल बत्ती की गाड़ी और सुरक्षा क्यों? स्थिति यह है कि मुखिया और सरपंच भी लाल बत्ती की गाड़ी लेकर घूम रहे हैं।’’
न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों से ऐसे व्यक्तियों का विवरण मांगा है जिन्हें पुलिस संरक्षण मिला है और जिसका खर्च सरकार वहन कर रही है। न्यायालय ने राज्य द्वारा सुरक्षा पर वहन किए गए पूरे खर्च का विवरण तीन सप्ताह के भीतर पेश करने का आदेश दिया है।
न्यायाधीशों ने राज्यों में लाल बत्ती की गाड़ियों के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि आखिर सरकार इस व्यवस्था को खत्म करने के बारे में कोई फैसला करके यह स्प्ष्ट क्यों नहीं करती कि लाल बत्ती कौन इस्तेमाल कर सकता है।
इस बीच, केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि सुरक्षा सिर्फ चुनिन्दा व्यक्तियों तक सीमित नहीं रखी जानी चाहिए और व्यक्ति विशेष को खतरे का आकलन कर उसे संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि सांविधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों या ऐसे व्यक्तियों को, जिनकी जिंदगी को खतरा हो, पुलिस सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधान न्यायाधीश, सांविधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और राज्यों में ऐसे ही समकक्ष पदों पर आसीन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। लेकिन हर आम और खास व्यक्ति को लाल बत्ती की गाड़ी और सुरक्षा क्यों? स्थिति यह है कि मुखिया और सरपंच भी लाल बत्ती की गाड़ी लेकर घूम रहे हैं।’’
न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों से ऐसे व्यक्तियों का विवरण मांगा है जिन्हें पुलिस संरक्षण मिला है और जिसका खर्च सरकार वहन कर रही है। न्यायालय ने राज्य द्वारा सुरक्षा पर वहन किए गए पूरे खर्च का विवरण तीन सप्ताह के भीतर पेश करने का आदेश दिया है।
न्यायाधीशों ने राज्यों में लाल बत्ती की गाड़ियों के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि आखिर सरकार इस व्यवस्था को खत्म करने के बारे में कोई फैसला करके यह स्प्ष्ट क्यों नहीं करती कि लाल बत्ती कौन इस्तेमाल कर सकता है।
इस बीच, केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि सुरक्षा सिर्फ चुनिन्दा व्यक्तियों तक सीमित नहीं रखी जानी चाहिए और व्यक्ति विशेष को खतरे का आकलन कर उसे संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
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