सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज उस याचिका पर सुनवाई है, जिसमें हजारों गैर-लाभकारी संस्थाओं (NGO) को विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए आवश्यक FCRA लाइसेंस को नवीनीकृत न करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. यह याचिका अमेरिका स्थित एक गैर-सरकारी संगठन ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि FCRA लाइसेंस रद्द करने से COVID-19 राहत प्रयासों पर असर पड़ सकता है क्योंकि देश संक्रमण की तीसरी लहर से जूझ रहा है जबकि इन 6,000 एनजीओ ने अब तक लाखों भारतीयों की मदद की है. याचिका में मदर टेरेसा द्वारा शुरू किए गए मिशनरीज ऑफ चैरिटी का भी जिक्र है. हालांकि केंद्र सरकार ने 6 जनवरी को उसके FCRA लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया था.
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याचिका में कहा गया है कि इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के FCRA पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है जिनकी वे सेवा करते हैं. याचिका में इन गैर सरकारी संगठनों के विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम या FCRA लाइसेंस को तब तक आगे बढ़ाने की मांग की गई है, जब तक कि कम से कम COVID-19 केंद्र सरकार द्वारा नामित “राष्ट्रीय आपदा” न रहे.
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याचिका में कहा गया है कि महामारी से निपटने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को केंद्र सरकार, नीति आयोग और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने भी स्वीकार किया है. विशेष रूप से ऐसे समय में ये संस्थाएं प्रासंगिक है जब देश कोविड-19 वायरस की तीसरी लहर का सामना कर रहा है. इस समय करीब 6000 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द करने से राहत प्रयासों में बाधा आएगी और जरूरतमंद नागरिकों को सहायता से वंचित किया जाएगा.
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