फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नीलगायों, बन्दर, वाइल्ड बोर यानी जंगली भालू को मारने के मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस मामले पर गौरी मुलेखी और NGO 'फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन', 'वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रिहबिलिटेशन' द्वारा याचिका दायर की गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
याचिका में इस पर रोक की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि बिहार, हिमाचल, और उत्तराखंड में नीलगाय आदि जानवरों को नुकसान पहुंचाने के नाम पर मारा जा रहा है जोकि गलत है और इस पर रोक लगायी जानी चाहिए।
याचिका में केंद्र के नोटिफिकेशन को गैरकानूनी बताया गया है और इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है जिसके तहत इन जानवरों को मारा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट अब अगले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई करेगा। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना किसी आधार और वैज्ञानिक अध्ययन के ये नोटिफिकेशन जारी किया है जबकि सचाई यह है कि न तो उनकी जनसंख्या के बारे में सरकार को कोई जानकारी है और न ही कोई रिपोर्ट। यहां तक कि सरकार जंगलों में माइनिंग भी नहीं रोक पाई है जिसकी वजह से जानवर रिहायशी इलाके में घुसने को मजबूर हो गए हैं।
याचिका में इस पर रोक की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि बिहार, हिमाचल, और उत्तराखंड में नीलगाय आदि जानवरों को नुकसान पहुंचाने के नाम पर मारा जा रहा है जोकि गलत है और इस पर रोक लगायी जानी चाहिए।
याचिका में केंद्र के नोटिफिकेशन को गैरकानूनी बताया गया है और इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है जिसके तहत इन जानवरों को मारा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट अब अगले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई करेगा। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना किसी आधार और वैज्ञानिक अध्ययन के ये नोटिफिकेशन जारी किया है जबकि सचाई यह है कि न तो उनकी जनसंख्या के बारे में सरकार को कोई जानकारी है और न ही कोई रिपोर्ट। यहां तक कि सरकार जंगलों में माइनिंग भी नहीं रोक पाई है जिसकी वजह से जानवर रिहायशी इलाके में घुसने को मजबूर हो गए हैं।
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