सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन राज्यों को फटकार लगाई कि वो सूखे को लेकर बेपरवाह हैं। अदालत ने कहा कि बिहार, हरियाणा और गुजरात एक हफ्ते में बताएं कि उनके यहां सूखा या सूखे जैसे हालात हैं या नहीं।
गुजरात, बिहार और हरियाणा सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से फटकार लगाई। कहा सूखे पर उनका रवैया शुतूरमुर्ग जैसा है। कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताई कि ये सरकारें ये मानने में भी हिचक रही हैं कि उनके यहां सूखा है।
कोर्ट ने कहा, केंद्र सूखे से निबटने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाए; किसानों की ख़ुदकुशी और पलायन को भी इसके दायरे में लाए; और एक हफ़्ते में बताए कि उनके राज्यों में सूखा है या नहीं और इसके लिए कृषि सचिव तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक करें।
अदालत ने ये भी कहा कि सूखा घोषित करने का क़ायदा फिर से बनाया जाए और ये साफ किया जाए कि राज्य कब सूखा घोषित करें। सरकार ने जवाब देने में देरी नहीं की। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में कहा, "हमने एप्रोप्रिएशन बिल पास कर चुके हैं...ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए फंड्स कहां से आएंगे?''
लोकसभा में भी सूखे पर चर्चा के दौरान सरकार के रुख पर सवाल उठे। भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा, "हरियाणा में सूखा है लेकिन लिखित तौर पर हरियाणा सरकार ने अभी तक केन्द्र को सूचित भी नहीं किया है कि वहां सूखा पड़ा है। जबकि राज्य के 13 ज़िलों में सूखे के हालात हैं।"
लेकिन असली सवाल ये है कि सूखे की मार झेल रहे करोड़ों लोगों को कोई राहत कब मिलेगी? गर्मी तेज़ होने के साथ ही सूखे के प्रकोप का दायरा भी बढ़ता जा रहा है...और साथ ही, संसद के अंदर और बाहर सरकार की मुश्किलें भी। मॉनसून अब भी तीन से चार हफ्ते दूर है, यानी आने वाले दिनों में सूखे के संकट का दायरा और बढ़ने वाला है।
गुजरात, बिहार और हरियाणा सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से फटकार लगाई। कहा सूखे पर उनका रवैया शुतूरमुर्ग जैसा है। कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताई कि ये सरकारें ये मानने में भी हिचक रही हैं कि उनके यहां सूखा है।
कोर्ट ने कहा, केंद्र सूखे से निबटने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाए; किसानों की ख़ुदकुशी और पलायन को भी इसके दायरे में लाए; और एक हफ़्ते में बताए कि उनके राज्यों में सूखा है या नहीं और इसके लिए कृषि सचिव तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक करें।
अदालत ने ये भी कहा कि सूखा घोषित करने का क़ायदा फिर से बनाया जाए और ये साफ किया जाए कि राज्य कब सूखा घोषित करें। सरकार ने जवाब देने में देरी नहीं की। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में कहा, "हमने एप्रोप्रिएशन बिल पास कर चुके हैं...ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए फंड्स कहां से आएंगे?''
लोकसभा में भी सूखे पर चर्चा के दौरान सरकार के रुख पर सवाल उठे। भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा, "हरियाणा में सूखा है लेकिन लिखित तौर पर हरियाणा सरकार ने अभी तक केन्द्र को सूचित भी नहीं किया है कि वहां सूखा पड़ा है। जबकि राज्य के 13 ज़िलों में सूखे के हालात हैं।"
लेकिन असली सवाल ये है कि सूखे की मार झेल रहे करोड़ों लोगों को कोई राहत कब मिलेगी? गर्मी तेज़ होने के साथ ही सूखे के प्रकोप का दायरा भी बढ़ता जा रहा है...और साथ ही, संसद के अंदर और बाहर सरकार की मुश्किलें भी। मॉनसून अब भी तीन से चार हफ्ते दूर है, यानी आने वाले दिनों में सूखे के संकट का दायरा और बढ़ने वाला है।
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