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This Article is From Mar 23, 2023

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के चेंबर के लिए 1.33 एकड़ जमीन दिलाने की मांग वाली याचिका ठुकराई

याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने कहा कि वकील हमारा हिस्सा हैं, लेकिन क्या हम अपनी न्यायिक शक्तियों का अपने ही लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के चेंबर के लिए 1.33 एकड़ जमीन दिलाने की मांग वाली याचिका ठुकराई
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के चेंबर के लिए 1.33 एकड़ जमीन दिलाने की मांग वाली याचिका ठुकरा दी है. कोर्ट ने कहा कि SCBA इस जमीन को अधिकार के तौर पर नहीं मांग सकता. इस मामले में न्यायिक स्तर पर जमीन नहीं मांगी जा सकती. ये आदेश न्यायिक तौर पर नहीं दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक तौर पर मामले को खुला रखा और कहा कि SCBA, SCORA और BCI प्रशासनिक तौर पर कदम उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को प्रतिनिधित्व दे सकते हैं. अदालत ने SCBA की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि  जनहित याचिका के जरिए जमीन नहीं मांगी जा सकती है.

17 मार्च को फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह वकीलों के चैंबर्स के लिए जमीन आवंटित करने का मामला प्रशासनिक स्तर पर सरकार के सामने उठाएंगे. कोर्ट ने कहा कि वकील, हमारा हिस्सा हैं इसलिए अपने लोगों के लिए न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल करना सही नहीं है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें 1.33 एकड़ जमीन को स्थानांतरित करके बार एसोसिएशन को आवंटित करने की मांग की गई थी, ताकि उस पर वकीलों के चैंबर बनाए जा सकें. 

याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने कहा कि वकील हमारा हिस्सा हैं, लेकिन क्या हम अपनी न्यायिक शक्तियों का अपने ही लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं? यह ऐसा है जैसे सुप्रीम कोर्ट अपनी ही जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल कर रहा है. पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि हमें अदालत के प्रशासनिक वर्ग पर विश्वास रखना चाहिए कि वह सरकार के सामने इस मामले को उठाएगा. हमें सरकार को यह संकेत नहीं देना चाहिए कि हम उनके अधिकार क्षेत्र को ध्वस्त करके कोई न्यायिक आदेश दे सकते हैं. उदाहरण के लिए ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने 7 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए थे, क्योंकि हमें उनकी जरूरत थी.

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने भी सुनवाई में शामिल करने की मांग की. एसोसिएशन की तरफ से कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोरा ने बताया कि कोर्ट में कई वकीलों को चैंबर्स की जरूरत है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी कोर्ट में वकीलों के चैंबर्स के लिए जगह की जरूरत बताई.

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