पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के आदेश का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने शनिवार को सीलबंद चुनावी बॉन्ड डेटा वापस चुनाव आयोग को वापस सौंप दिया. आयोग ने 2019 और 2023 में दिए गए दस्तावेजों को वापस देने का अनुरोध किया था, ताकि वह उन्हें सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश के अनुसार अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर सके.
शुक्रवार को चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को कागजात को डिजिटल करने के बाद शनिवार शाम 5 बजे तक वापस सौंपने के लिए कहा था. बदले में, आयोग को रविवार शाम 5 बजे तक उन्हें अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए कहा गया है. चुनाव आयोग ने याचिका में कहा था कि उसके पास डेटा नहीं है, क्योंकि उसने डेटा सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिए थे.
2023 में चुनावी बॉन्ड की वैधता पर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर तक राजनीतिक दलों को इस माध्यम से मिले फंड की अद्यतन जानकारी मांगी थी. इससे पहले भी 2019 में डेटा मांगा था.
यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि एक बार यह डेटा प्रकाशित होने के बाद अब यह डोनेशन पर कोई नई रोशनी डालेगा. शुक्रवार को सुनवाई में, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चुनावी बॉन्ड संख्या जमा नहीं करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को भी फटकार लगाई थी, जो दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की दो सूचियों को जोड़ने में मदद करेगा.
सुनवाई शुरू होने पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, "भारतीय स्टेट बैंक की ओर से कौन पेश हो रहा है? उन्होंने बॉन्ड संख्या का खुलासा नहीं किया है. इसका खुलासा भारतीय स्टेट बैंक को करना होगा." पीठ ने बैंक से सोमवार को अगली सुनवाई के दौरान इस चूक के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा.
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