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This Article is From Oct 19, 2022

उद्धव गुट को SC का झटका, BMC पार्षदों की संख्या घटाने के फैसले पर दखल से इनकार

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सीनियर वकील देवदत्त कामत को सुनने के बाद संक्षेप में कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट को पहले इस मुद्दे पर फैसला करने दें. हमें पहले हाईकोर्ट के आदेश का लाभ मिलेगा. अगर अधिक व्यथित होंगे तो आपके पास वापस आने का विकल्प रहेगा. 

उद्धव गुट को SC का झटका, BMC पार्षदों की संख्या घटाने के फैसले पर दखल से इनकार
राज्य मंत्रिमंडल ने सभी स्थानीय निकायों के लिए सीटों में की गई वृद्धि के फैसले को पलट दिया था.

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से मायूसी हाथ लगी है. सुप्रीम कोर्ट ने बीएमसी पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 करने के शिंदे सरकार के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट के नेता राजू श्रीपद पेडनेकर की याचिका खारिज कर दी है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सीनियर वकील देवदत्त कामत को सुनने के बाद संक्षेप में कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट को पहले इस मुद्दे पर फैसला करने दें. हमें पहले हाईकोर्ट के आदेश का लाभ मिलेगा. अगर अधिक व्यथित होंगे तो आपके पास वापस आने का विकल्प रहेगा. 

राज्य में बनी शिंदे-फडणवीस सरकार लगातार नए फैसले लेकर सुर्खियों में बनी हुई है. राज्य सरकार के दो सदस्यीय मंत्रिमंडल ने पिछली एमवीए सरकार के बीएमसी में पार्षदों की संख्या को 236 तक बढ़ाने के फैसले को पलट दिया था. इसकी संख्या घटाकर 227 कर दी थी. सरकार के फैसले के तहत वार्ड की सीमाएं 2017 के रूप में वापस आ जाएंगी. लेकिन एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए वार्डों को अंतिम रूप देने के लिए नई लॉटरी निकाली जाएगी. राज्य मंत्रिमंडल ने सभी स्थानीय निकायों के लिए सीटों में की गई वृद्धि के फैसले को पलट दिया था.

मालूम हो कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने आरोप लगाया था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने चुनावों में सत्तारूढ़ शिवसेना को लाभ पहुंचाने के लिए बीएमसी में सीटों की संख्या में वृद्धि की. इसके साथ ही वार्ड की सीमाओं को भी बढ़ाया. एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार के दो सदस्यीय कैबिनेट के समक्ष रखे गए एक प्रस्ताव में कहा गया है कि ताजा जनगणना के अभाव में स्थानीय निकायों में पार्षद सीटों की संख्या बढ़ाना उचित नहीं है. 2021 की जनगणना कोविड महामारी के कारण नहीं हुई और यह कब आयोजित की जाएगी इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.

साल 2017 के निकाय चुनावों के लिए वार्डों की संख्या 2011 की जनगणना पर आधारित थी. जब एमवीए सरकार ने स्थानीय निकायों के लिए सीटों की संख्या बढ़ाई तो कानून और न्यायपालिका विभाग ने उसी आधार पर वार्डों की संख्या में वृद्धि पर आपत्ति जताई थी. कहा गया था कि जब कोई जनगणना नहीं हुई तो वार्डों की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है.

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