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This Article is From Jul 05, 2019

हरेन पांड्या मर्डर केस: कोर्ट की निगरानी में नए सिरे से नहीं होगी जांच, ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार

न्यायालय ने इस हत्याकांड की नये सिरे से जांच के लिये जनहित याचिका दायर करने पर इस गैर सरकारी संगठन पर 50,000 रूपए का जुर्माना लगाया.

हरेन पांड्या मर्डर केस: कोर्ट की निगरानी में नए सिरे से नहीं होगी जांच, ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार
हरेन पांड्या की 2003 को अहमदाबाद के लॉ गार्डन इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2003 में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या का मामला मामले में ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है. इसके साथ ही हत्याकांड की अदालत की निगरानी में नए सिरे से जांच की याचिका को भी खारिज कर दिया. इसके साथ-साथ कोर्ट ने इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट द्वारा 12 दोषियों को हत्या के केस से बरी किये जाने के फैसले में भा बदलाव किया है. 7 को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई है. गुजरात सरकार और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर शुक्रवार को फैसला सुनाया गया है. 

न्यायालय ने इस हत्याकांड की नये सिरे से जांच के लिये जनहित याचिका दायर करने पर इस गैर सरकारी संगठन पर 50,000 रूपए का जुर्माना लगाया और कहा कि इस मामले में अब किसी और याचिका पर विचार नहीं होगा.

दरअसल गैर सामाजिक संगठन (एनजीओ) सीपीआइएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की बहस पूरी हो जाने के बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. भूषण ने दलील दी थी कि हत्या के मामले में कई नए तथ्य सामने आए हैं जिनकी नए सिरे से जांच किए जाने की आवश्यकता है. वहीं सॉलिसिटर जनरल ने आरोप लगाया था कि एनजीओ राजनीतिक बदला लेने के लिए जनहित याचिका का दुरुपयोग कर रहा है.

इसके अलावा जांच एजेंसी और राज्य पुलिस ने गुजरात हांईकोर्ट द्वारा 29 अगस्त 2011 को 12 आरोपियों को हत्या के मामले से बरी किये जाने पर सवाल उठाते हुए अपील दायर की थी और इसे त्रुटिपूर्ण करार दिया था. हालांकि, हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप से 12 दोषियों को बरी करते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें इनपर आपराधिक षड्यंत्र रचने, हत्या के प्रयास और आतंकवाद निरोधक कानून के तहत अपराधों के लिये दोषी ठहराने की बात कही गई थी.

दरअसल हरेन पांड्या की 26 मार्च, 2003 को अहमदाबाद के लॉ गार्डन इलाके में उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह सुबह की सैर कर रहे थे. उस समय पांड्या गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृह मंत्री थे.

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