सुप्रीम कोर्ट में नीट-यूजी परीक्षा (NEET-UG Exam 2024) में गड़बड़ियों को लेकर आज सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कई सवाल पूछे और संबंधित अधिकारियों और विशेषज्ञों से जवाब मांगा. उच्चतम न्यायालय ने आईआईटी-दिल्ली के निदेशक को नीट-यूजी 2024 के लिए तीन विशेषज्ञों की टीम गठित करने और सही उत्तरों पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
एक सवाल के सही जवाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने IIT दिल्ली से एक्सपर्टों की राय मांगी. कोर्ट ने IIT दिल्ली डायरेक्टर को आज ही तीन विशेषज्ञों की कमेटी बनाने को कहा है.
उच्चतम न्यायालय ने इस दलील पर गौर किया कि एक प्रश्न के दो सही उत्तर थे और एक सही विकल्प के लिए अंक दिए गए थे. कोर्ट ने उस दलील पर संज्ञान लिया कि किसी विशेष प्रश्न के उत्तर के लिए अंक देने या न देने का अंतिम मेधा सूची पर असर पड़ता है.
एनटीए ने प्रश्नपत्र लीक होने की बात स्वीकारी- याचिकाकर्ता
न्यायालय ने विवादों से घिरी नीट-यूजी परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि इसके सामाजिक प्रभाव हैं. वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने प्रश्नपत्र लीक होने और लीक हुए प्रश्नपत्र को व्हाट्सएप के माध्यम से साझा किए जाने की बात स्वीकार की है.
एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा, "4 में से एक छात्र को ऐसे अंक कैसे मिल सकते हैं?" हुड्डा ने कहा कि ये व्यवस्थागत विफलता है. गुजरात में फेल होने वाली एक लड़की बेलगावी जाती है और उसे NEET में 705 अंक मिलते हैं और CBSE का पाठ्यक्रम पूरी तरह से NEET से जुड़ा हुआ है.
हम खामियों को दूर करेंगे- सीजेआई
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "कोटा और सीकर शिक्षा केंद्र हैं, जहां छात्र होस्टलों में रहते हैं और पढ़ाई करते हैं." CJI ने याचिकाकर्ता से कहा, "यदि कोई खामियां हैं, तो हम उन्हें दूर करेंगे. मूल रूप से आपने हजारीबाग, पटना पर ध्यान केंद्रित किया है. बहादुरगढ़ में भी कुछ खामियां हैं. आपने सिस्टेमैटिक फेल्योर कहां दिखाई है?
परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
एनटीए द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं से कथित तौर पर लाभान्वित होने वाले उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. हालांकि कुछ केंद्रों पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों की संख्या अधिक थी. ये डेटा 4,750 केंद्रों के 32 लाख से अधिक उम्मीदवारों का था. सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कथित अनियमितताओं को लेकर कई याचिकाओं पर सुनवाई की और उसी के निर्देश पर डेटा जारी किया गया था.
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