कोलकाता रेप और मर्डर मामले पर सुप्रीम कोर्ट.
Supreme Court On Kolkata Rape And Murder Case: CJI ने कहा कि मेडिकल प्रोफेशनल को कई तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता है. वे चौबीसों घंटे काम करते हैं. काम की परिस्थितियों ने उन्हें हिंसा के प्रति संवेदनशील बना दिया है.
- सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि ये सिर्फ कोलकाता में हत्या (Kolkata Rape And Murder Case) का मामला नहीं, ये मुद्दा देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा का है. अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है.
- हमें डॉक्टरों, खासकर महिला डॉक्टर और युवा डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता है. हमने पाया कि वहां कोई ड्यूटी रूम नहीं है. हमें उनके कार्यस्थल पर सुरक्षित स्थितियों के लिए एक राष्ट्रीय सहमति और प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए.
- हम जानते हैं कि वे सभी इंटर्न, रेजिडेंट डॉक्टर और सबसे महत्वपूर्ण महिला डॉक्टर हैं. अधिकांश युवा डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं. हमें काम की सुरक्षित स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करना होगा. ऐसा प्रोटोकॉल सिर्फ पेपर पर नहीं बल्कि जमीन पर हो.
- हम पीड़िता की तस्वीरें व नाम पूरे सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से बहुत चिंतित हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. ये वारदात देशभर में सिस्टेमेटिक फेल्योर है. अदालत के फैसले हैं, जो कहते हैं कि यौन पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किए जा सकते हैं.
- पुलिस ने हजारों लोगों को अंदर क्यों आने दिया, क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया. प्रिंसिपल का ट्रांसफर दूसरे कॉलेज में क्यों किया गया. CBIमामले में गुरुवार तक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे. जांच नाजुक दौर में होने की वजह से रिपोर्ट सीधे कोर्ट में दी जाए.
- कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जब भीड़ घुसी, तब पुलिस क्या कर रही थी. यह वारदात बहुत ही गंभीर है. इसीलिए कोर्ट की निगरानी में टास्क फोर्स बनाया जाएगा.
- हम नेशनल टास्क फोर्स का गठन करना चाहते हैं, जिसमें सभी डॉक्टर शामिल हों. डॉक्टर्स हम पर भरोसा करें. वह इस बात को भी समझें कि देशभर का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है, इसीलिए वह काम पर वापस लौटें.
- डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम यहां हैं. इसे हम हाईकोर्ट पर नहीं छोड़ेंगे. ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है.
- महिला डॉक्टर के परिवार को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज क्यों की गई. ममता सरकार और अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाते हुए पूछा कि प्रशासन आखिर कर क्या रहा था. FIR दर्ज करवाना अस्पताल की जिम्मेदारी थी, क्यों कि पीड़िता का परिवार वहां नहीं था.
- ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही लग गया था. प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की. माता-पिता को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई.