दागी नेताओं से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. कोर्ट ने MP/ MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए हाईकोर्ट को निगरानी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि HC चीफ जस्टिस ऐसे मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करें, जिला जज स्पेशल कोर्ट के ट्रायल की निगरानी करें. हाईकोर्ट समय समय पर ट्रायल की रिपोर्ट मांगे. साथ ही सांसदों/विधायकों पर ट्रायल के लिए और स्पेशल कोर्ट हों.
कोर्ट ने कहा कि हम विशेष अदालतों में प्रत्येक मामले की निगरानी नहीं कर सकते. मौत की सजा के आरोपों का सामना कर रहे सांसद/ विधायकों के मामलों को प्राथमिकता दी जाए. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गाइडलाइन बनाना हर राज्य के लिए बनाना संभव नहीं, हर राज्य में परिस्थितियां अलग अलग हैं. ये हम हाईकोर्ट पर छोड़ते हैं कि MP/MLA कोर्ट मॉनिटरिंग करें.
हाईकोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर mp MLA कोर्ट में चल रहे अपराधिक मामलों का जल्दी निबटारा करें. इस बेंच में चीफ जस्टिस हो सकते हैं. हाईकोर्ट जिला जजों को इस तरह के चल रहे केस की रिपोर्ट मांग सकते हैं. ट्रायल कोर्ट अति जरूरी कारणों के अलावा सुनवाई नहीं टालेंगे. इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएं, एक वेबसाइट बनें जिसमें जिलावार स्टेटस हो कि कितने केस पेंडिंग हैं.
गंभीर अपराधों में आरोप तय होते ही चुनाव लडने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाई करके आदेश जारी करेगा. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने ये फैसला बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर दिया है. उपाध्याय ने MP/MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों के फास्ट ट्रैक ट्रायल की अर्जी दाखिल की थी.
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