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This Article is From Oct 30, 2023

"अनिश्चितकालीन निलंबन चिंता का कारण" : राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट

आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेकंटरमणी ने कहा कि इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता.  ये संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है.  अगर अदालत सुनवाई करती है तो संसद का असम्मान कर रही है.

"अनिश्चितकालीन निलंबन चिंता का कारण" : राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट
राघव चड्ढा के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट

AAP राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ( Raghav Chadha) के निलंबन का मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई.  CJI ने AG से पूछा कि  इस तरह के अनिश्चितकालीन निलंबन का असर उन लोगों पर पड़ेगा जिनके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है. विशेषाधिकार समिति के पास सदस्य को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने की शक्ति कहां है?  क्या इससे विशेषाधिकार का उल्लंघन होता है? यह लोगों के प्रतिनिधित्व के बारे में है. हमें उन आवाज़ों को संसद से बाहर न करने के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए. एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में यह चिंता का एक गंभीर कारण है. अनिश्चितकालीन निलंबन चिंता का कारण है. 

क्या यह विशेषाधिकार का उल्लंघन है : CJI
CJI ने AG से कहा कि क्या उन्होंने जो किया है उससे सदन की गरिमा कम होती है?  एक सदस्य, जिसे चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए अन्य सदस्यों की सहमति को सत्यापित करना चाहिए था, ने प्रेस को बताया कि यह जन्मदिन के निमंत्रण कार्ड की तरह था,  लेकिन क्या यह विशेषाधिकार का उल्लंघन है?  अगर सदन में बयान देने वाले किसी व्यक्ति को 5 साल जेल की सज़ा हो जाए? आनुपातिकता की भावना होनी चाहिए. क्या ये ऐसा उल्लंघन है जहां किसी को अनिश्चित काल के लिए निलंबित किया जाना चाहिए?  यदि वह स्पीकर को पत्र लिखकर माफी मांगना चाहते हैं तो क्या इसे स्वीकार कर लिया जाएगा.  मामला बंद कर दिया जाएगा या हमें सुनवाई करनी चाहिए  और इस पर  कानून बनाना चाहिए?  वह हम कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में अब अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और राघव चड्ढा के वकील से लिखित दलीलें जमा करने को कहा है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी.  अटॉर्नी जनरल आर वेकंटरमणी ने कहा कि इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता.  ये संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है.  अगर अदालत सुनवाई करती है तो संसद का असम्मान कर रही है.

राघव चढ्ढा के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि 60 दिन तक अगर हाउस में नहीं गए तो सीट खाली घोषित हो सकती है.
ऐसे में कैसे अनिश्चित काल तक सस्पेंड किया जा सकता है.  राघव चढ्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती दी है.  अगस्त में चड्ढा को निलंबित किया गया था.  राघव की तरफ से दलील दी गई है कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला नहीं बनता. अगर मामला बनता भी है, तो नियम 256 के तहत उन्हें सिर्फ उसी सत्र तक के लिए निलंबित किया जा सकता था.   मामला अभी संसद की विशेषाधिकार कमेटी  के पास है.

राघव चड्ढा बोले- माफी मांगने को तैयार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम विशेषाधिकार हनन के विस्तृत विषय या विशेषाधिकार समिति के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देंगे. कोर्ट के सामने जो विचार का मुद्दा है वो अनिश्चित काल तक राज्यसभा से राघव चड्डा का निलंबन है. हमें ये भी विचार करना है कि कोर्ट इस मामले में किस हद तक दखल दे सकता है. राघव की ओर से कहा गया कि उनकी मंशा राज्यसभा की महिमा को कम करने की नहीं थी. वो इस मामले में माफी मांगने को तैयार हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले भी दिया था बड़ा दखल
इससे पहले भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा दखल हुआ था. निलंबन पर राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया गया था और जवाब मांगा था.  सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से सहायता मांगी थी.  SC ने कहा था कि  वह इस बात की जांच करेगा कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है.  SC यह भी जांच करेगा कि क्या सज़ा अनुपातहीन थी. 

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा  था कि अदालत को यह जांचने की जरूरत है कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है. आनुपातिकता का मुद्दा ये है कि क्या किसी सदस्य को निलंबित करने के लिए नियम 256 लागू किया जा सकता है. वकील शादान फरासत ने कहा कि  ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं है.  इसे सत्र से परे नहीं किया जा सकता है.  इस सत्र से आगे बढ़ाने के लिए अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता. ये विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है. 

जानें क्या है मामला
दरअसल आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. चड्ढा को अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का नाम चयन समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. उन पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है.  आप सांसद को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है, जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती.  निलंबन का प्रस्ताव भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा की कार्रवाई को अनैतिक बताया.  इसी को लेकर राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अनिश्चित काल तक निलंबन को चुनौती दी है.

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