एनसीपी नेता की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फैसले को दी थी चुनौती, SC ने याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वकील अशोक पांडे  ने पूछा था कि क्या एक अभियुक्त की दोषसिद्धि पर अदालत द्वारा लगाई गई रोक के आधार पर लोकसभा सदस्य की अयोग्यता को रद्द कर उसे फिर बहाल किया जा सकता है?

एनसीपी नेता की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फैसले को दी थी चुनौती, SC ने याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

राकांपा यानी एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ( Mohammad Faizal) की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फैसले को चुनौती देने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की याचिका को जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील अशोक पांडे पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वकील अशोक पांडे  ने पूछा था कि क्या एक अभियुक्त की दोषसिद्धि पर अदालत द्वारा लगाई गई रोक के आधार पर लोकसभा सदस्य की अयोग्यता को रद्द कर उसे फिर बहाल किया जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को राकांपा नेता और लक्ष्यद्वीप सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल करने की लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना के मद्देनज़र संसद सदस्य के तौर पर उनकी अयोग्यता के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा कर दिया था. 29 मार्च को लोकसभा सचिवालय द्वारा अधिसूचना को रद्द करने की मांग करते हुए अपनी याचिका में है कि यदि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य ने संविधान के आर्टिकल 102 और 191 के तहत अपना पद खो दिया है तो ऐसे में अदालत द्वारा उसे जब तक आरोपों से बरी नहीं किया जाता तब तक उस व्यक्ति को अयोग्य ही घोषित किया जाएगा. याचिका में उन्होंने कहा है कि कृपया इस मुद्दे का फैसला करें कि क्या किसी अभियुक्त की दोषसिद्धि को अपील की अदालत द्वारा रोका जा सकता है और अगर ऐसा है तो क्या दोषसिद्धि पर रोक के आधार पर ऐसा व्यक्ति जिसे अयोग्यता का सामना करना पड़ा है, संसद के सदस्य के रूप में दोबारा योग्य हो जाएगा.

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इससे पहले अपनी शपथ लेते समय 'मैं ' नहीं बोलने पर बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दोबारा शपथ दिलाने की जनहित याचिका चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश दिया कि अशोक पांडे की ये पीआईएल तुच्छ नीयत से अदालत का ध्यान खींचने और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किया गया है.  कोर्ट ने पांडे पर ऐसी याचिका दाखिल करने पर पहले जुर्माना भी लगाया था.