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वकीलों को मनमाने तरीके से समन नहीं भेज पाएंगी जांच एजेंसियां, सुप्रीम कोर्ट ने खींची लक्ष्मण रेखा

हाल ही में, ED ने सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर वकील अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन जारी किया था.  ईडी के समन के खिलाफ व्यापक विरोध हुआ था.

वकीलों को मनमाने तरीके से समन नहीं भेज पाएंगी जांच एजेंसियां, सुप्रीम कोर्ट ने खींची लक्ष्मण रेखा
  • सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को मनमाने समन भेजने पर रोक लगाते हुए धारा 132 के अपवादों को सीमित किया है.
  • समन जारी करने के लिए एसपी रैंक से ऊपर के अधिकारी की लिखित अनुमति और स्पष्ट तथ्य होना अनिवार्य होगा.
  • वकीलों की गोपनीयता संरक्षण मुकदमेबाजी, गैर-मुकदमेबाजी और प्री-लिटिगेशन कार्यों तक ही सीमित रहेगी.
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. अब वकीलों को मनमाने तरीके से जांच एजेंसियां समन नहीं भेज पाएंगी.  सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा खींच दी है.  अब जांच अधिकारी किसी भी वकील को मुवक्किल की जानकारी मांगने के लिए समन जारी नहीं करेंगे, जब तक कि वह धारा 132 के तहत किसी अपवाद के अंतर्गत न आता हो. यदि अपवाद के तहत समन भेजा जाता है,  तो समन में स्पष्ट तथ्य लिखे होंगे. SP रैंक से ऊपर के अधिकारी की लिखित अनुमति और संतुष्टि भी इसके लिए जरूरी होगी. ऐसा समन वकील या आरोपी की ओर से Section 528 BNSS के तहत न्यायिक समीक्षा के दायरे में होगा. गोपनीयता संरक्षण उन वकीलों को मिलेगा, जो मुकदमेबाजी, गैर-मुकदमेबाजी या प्री-लिटिगेशन कार्य में लगे हों. वकील के पास मौजूद दस्तावेज़ों की प्रोडक्शन इस विशेषाधिकार में शामिल नहीं होगी — चाहे सिविल केस हो या क्रिमिनल.  Section 132 BSA (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) के तहत पेशेवर संवाद गोपनीय है.  इसलिए पुलिस/जांच अधिकारी आरोपी के वकील को क्लाइंट की केस डिटेल जानने के लिए समन नहीं भेज सकते, सिवाय उन अपवादों के जहां इस धारा में अनुमति है. 

डिजिटल उपकरणों पर भी फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुवक्किलों की जानकारी मांगने वाले वकीलों को ईडी का समन अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है. ईडी और सीबीआई द्वारा ज़ब्त किए गए डिजिटल उपकरण केवल वकील और अभियुक्त की मौजूदगी में ही अदालत में खोले जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को समन जारी करने के संबंध में ईडी और सीबीआई सहित जांच एजेंसियों को सख्त दिशानिर्देश जारी किए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि BNS के तहत डिजिटल उपकरणों की प्रस्तुति केवल क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष ही होगी. यदि अदालत द्वारा आपत्तियों को खारिज कर दिया जाता है, तो डिजिटल उपकरण केवल वकील और अभियुक्त की मौजूदगी में ही खोले जाएंगे. 

क्यों सुप्रीम कोर्ट ने दिया दखल

आरोपियों के वकीलों को दी गई कानूनी सलाह पर जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को तलब करने के मामले मे लिए गए स्वत: संज्ञान पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस विपुल एम पंचोली की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. दरअसल, 25 जून को गुजरात से जुडे़ एक मामले में जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने पुलिस और जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को तलब करने के चलन पर चिंता व्यक्त जताते हुए मामले को चीफ़ जस्टिस के पास भेज दिया था. हाल ही में, ED द्वारा सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर वकील अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन जारी किया था.  ईडी के समन के खिलाफ व्यापक विरोध हुआ था. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के विरोध के बाद, ईडी ने वकीलों को जारी समन वापस ले लिया और एक पत्र जारी कर कहा गया कि ईडी डायरेक्टर की पूर्व अनुमति के बिना वकीलों को समन जारी नहीं किया जा सकता है. 
 

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