प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर आनंद राय को 6 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है. मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की देखरेख के लिए बनाई गई जस्टिस लोढा कमेटी द्वारा अपने अधिकारों से बढ़कर फैसले करने की याचिका पर कुछ सवालों का जवाब देने से लिए उन्हें बुलाया गया है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एआर दवे और जस्टिस एलएन राव की बेंच ने कहा कि इस याचिका को पढ़ने से ऐसा लगता है जैसे यह एमसीआई की अपील हो क्योंकि एमसीआई ने भी जस्टिस लोढा पैनल पर सवाल उठाए हैं. ऐसे में बेंच पहले याचिकाकर्ता आनंद राय से कुछ सवाल पूछना चाहती है.
इस दौरान एमसीआई के वकील ने कोर्ट से कहा कि इस मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि शुक्रवार से ही कालेजों में दाखिलों के लिए काउंसलिंग शुरू होगी. कोर्ट के पूछने पर बताया गया कि एमसीआई भी जल्द इस बारे में याचिका दाखिल करेगी. आनंद राय ने याचिका में कहा है कि पैनल ने अपने अधिकारों से आगे बढ़कर अगस्त महीने में बिना निरीक्षण के ही बहुत सारे मेडिकल कालेजों को मान्यता दे दी और कई कालेजों में सीटें बढ़ा दी.
गौरतलब है कि मई 2016 में पांच जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस लोढ़ा की अगुवाई में तीन सदस्यीय देखरेख कमेटी का गठन कर एमसीआई की निगरानी का जिम्मा सौंपा था. कोर्ट ने कहा था कि किसी भी फैसले के लिए कमेटी की सहमति लेनी होगी.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एआर दवे और जस्टिस एलएन राव की बेंच ने कहा कि इस याचिका को पढ़ने से ऐसा लगता है जैसे यह एमसीआई की अपील हो क्योंकि एमसीआई ने भी जस्टिस लोढा पैनल पर सवाल उठाए हैं. ऐसे में बेंच पहले याचिकाकर्ता आनंद राय से कुछ सवाल पूछना चाहती है.
इस दौरान एमसीआई के वकील ने कोर्ट से कहा कि इस मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि शुक्रवार से ही कालेजों में दाखिलों के लिए काउंसलिंग शुरू होगी. कोर्ट के पूछने पर बताया गया कि एमसीआई भी जल्द इस बारे में याचिका दाखिल करेगी. आनंद राय ने याचिका में कहा है कि पैनल ने अपने अधिकारों से आगे बढ़कर अगस्त महीने में बिना निरीक्षण के ही बहुत सारे मेडिकल कालेजों को मान्यता दे दी और कई कालेजों में सीटें बढ़ा दी.
गौरतलब है कि मई 2016 में पांच जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस लोढ़ा की अगुवाई में तीन सदस्यीय देखरेख कमेटी का गठन कर एमसीआई की निगरानी का जिम्मा सौंपा था. कोर्ट ने कहा था कि किसी भी फैसले के लिए कमेटी की सहमति लेनी होगी.
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