हाल के दिनों में अल-क़ायदा और आईएस जैसे आतंकवादी संगठनों भारत में अपना बेस स्थापित करने की बात कही है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर गुवाहाटी में जारी डीजी कॉन्फ्रेंस में आज इस बात पर चिंता जाहिर की गई।
डीजी कॉन्फ्रेंस में खुफिया विभाग ने कहा कि हैदराबाद, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में कई नौजवान आईएस से खासे प्रभावित दिखते हैं। कॉन्फ्रेंस में इन राज्यों को सबसे ज्यादा सतर्क रहने को कहा गया है। इसके साथ ही यह भी तय हुआ है कि अरीब मजीद जैसे नौजवानों के साथ भारत सरकार नरमी बरतेगी।
खुफिया विभाग के प्रमुख आसिफ इब्राहिम ने आज कहा कि अलकायदा और आईएस से अगर प्राथमिकता के साथ नहीं निपटा गया तो वे देश के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं।
इब्राहिम ने कहा, 'तेजी से बढ़ते क्षेत्रीय प्रसार और खिलाफत के प्रभाव से एक ओर जहां समूह (आईएस) की छवि बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर यह अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।' इब्राहिम ने कहा कि 80 देशों के लोग संघर्ष में शामिल होने संबद्ध क्षेत्र (इराक और सीरिया) में पहुंचे हैं।
हालांकि इब्राहिम ने साथ ही कहा कि भारत में मुसलमानों की संख्या अच्छी खासी होने के बावजूद, कुछ इक्का दुक्का घटनाओं को छोड़कर जिहादी गतिविधियों का कोई असर नहीं है।
उन्होंने कहा, 'कई पश्चिमी देशों के विपरीत, स्थानीय हस्तक्षेप और समय पर काउंसलिंग संभावित भर्ती (आतंकी समूह के लिए) के खिलाफ पर्याप्त प्रतिरोध साबित हुए हैं। भारत में मुस्लिम तबकों, संगठनों, मदरसों और मौलवियों ने न सिर्फ खिलाफत और आईएस की घोषणा को खारिज किया है, बल्कि उन्होंने इन गतिविधियों को गैर इस्लामी भी करार दिया है।'
आईबी का कहना है कि सबसे ज्यादा नौजवान इंटरनेट के ज़रिये आईएस से प्रभावित हो रहे हैं और ऐसे 15 लड़कों को विदेश जाने से रोका भी गया है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर ऐसे नौजवान नौकरी करने के बहाने खाड़ी देश जाते हैं। हाल में जिसे रोका गया वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। खुफिया विभाग ऐसे मामलों में घर वालों को भी शामिल करते हैं।
एनडीटीवी से बात करते हुए आईबी के इस अधिकारी ने कहा, खुफिया विभाग राह से भटके उन नौजवानों की काउंसलिंग करवा रहा है। घर वाले भी इससे खुश हैं कि उनके बच्चों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बन रहा और इसे देखते हुए वे हमारी मदद भी करते हैं। उनके मुताबिक, विभाग ने अभी तक 15 ऐसे लड़कों की काउंसलिंग करवाया है। अरीब मजीद के मामले में भी यही हो रहा है।
हालांकि मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अरीब इस बात को लेकर अपने परिवार से काफी खफा भी है। वह कहता है कि सरकार को उसकी मदद करने की कोई ज़रूरत नहीं।
बहराल इस नए रुख के ज़रिये भारत सरकार यह साबित करना चाहती है की वह भटके हुए नौजवानो को सही राह पर लाने के लिए नरमी बरत रही है, क्यूंकि उसे मालूम है कि अगर सख्ती बरती गई तो मामला उल्टा पड़ सकता है।
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