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विड़िन्यम पोर्ट की कहानीः जब दुनिया तक पहुंची थी केरल के मसालों की खुशबू, अब बना ग्लोबल ट्रेड हब

वीड़िन्यम बंदरगाह का इतिहास बहुत पुराना है. प्राचीन काल से इस मार्ग का इस्तेमाल दूसरे देशों से व्यापार करने के लिए किया जाता था. इस बंदरगाह का इस्तेमाल अंग्रेजों ने भी केरल से मसाले का निर्यात करने के लिए किया था.

विड़िन्यम पोर्ट की कहानीः जब दुनिया तक पहुंची थी केरल के मसालों की खुशबू, अब बना ग्लोबल ट्रेड हब
वीड़िन्यम बंदरगाह का प्राचीन काल से ही रहा है महत्व
नई दिल्ली:

केरल में स्थित अदाणी समूह का विड़िन्यम बंदरगाह बीते कुछ दिनों से चर्चाओं में है. इसकी सबसे बड़ी वजह है दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी मर्क्स के जहाज 'सैन फर्नांडो' का इस बंदरगाह पर आना. 'सैन फर्नांडो' ने 2000 से अधिक कंटेनरों के साथ अदाणी समूह के विड़िन्यम बंदगाह पर इसी गुरुवार को पहुंचा था. विड़िन्यम बंदगाह के पास पहुंचते ही इस विशाल जहाज को पारंपरिक सलामी दी गई, इसके बाद ही यह सफलतापूर्वक बर्थ पर पहुंचा. 

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इस ऐतिहासिक मौके पर अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने लिखा था कि आज का दिन ऐतिहासिक रहा, विड़िन्यम बंदगाह ने अपने पहले कंटेनर वेसल का स्वागत किया है ! ये ग्लोबल ट्रांसशिपमेंट सेक्टर में भारत की एंट्री का मील का पत्थर है. इसके साथ ही भारत समुद्री लॉजिस्टिक्स के नए युग में प्रवेश कर गया है. विड़िन्यम ग्लोबल ट्रेड रूट में एक बड़े पोर्ट के रूप में स्थापित होगा- जय हिंद. 

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आपको बता दें कि विड़िन्यम बंदगाह पर पहली मदर शिप के आने के साथ , अदाणी समूह के इस बंदरगाह ने भारत को विश्व शिपिंग बिजनेस के पटल पर ला दिया है. चलिए आज हम आपको इस बंदरगाह के इतिहास से जुड़ी कुछ अहम बताते हैं...

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विड़िन्यम प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र रहा है. यह त्रावणकोर साम्राज्य के लिए एक प्रमुख बंदरगाह के रूप में कार्य करता था. उस दौरान इस बंदरगाह से मुख्य रूप से मसालों का व्यापार होता था. यह बंदरगाह केरल को विभिन्न वैश्विक मार्गों से जोड़ता है. 

दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व पुराना है इतिहास

आपको बता दें कि इस क्षेत्र में समुद्री व्यापार का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक जाता है. पुराने जमाने से ये क्षेत्र व्यापार के प्रमुख क्षेत्रों में से एक रहा है. कहा जाता है कि जब आठवीं शताब्दी ईस्वी में आर्य वंश को पांड्यों ने पराजित किया, तो इसने उन्हें तिरुवनंतपुरम में स्थित विड़िन्यम में प्रवास करने के लिए प्रेरित किया था. उस दौर में कई राजाओं को विड़िन्यम के आय प्रमुखों के रूप में कार्य करने के लिए जाना जाता है. 

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विड़िन्यम का रहा है सांस्कृतिक महत्व 

अपनी भौगोलिक स्थित की वजह से वीड़िन्यम का अपना अलग ही महत्व है. इस बंदरगाह की लोकेशन की वजह से इसने प्राचीन समय से ही केरल का ग्रीक, रोमन, अरब और चीनी समेत विभिन्न सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान की सुविधा दी थी. इस आदान-प्रदान की वजह से ही इस क्षेत्र की संस्कृति, भोजन और वास्तुकला पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा है. 

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औपनिवेशिक दौर में भी अंग्रेजों के लिए बेहद खास था ये बंदरगाह 

वीड़िन्यम बंदरगाह अंग्रेजों के साथ-साथ पुर्तगाली और डच व्यापारियों के लिए भी बेहद खास था. जिस दौर में भारत पर अंग्रेजों का शासन था, उस समय भी इस बंदरगाह से कई तरह के व्यापार संचालित किए जाते थे. पश्चिमी देश इसी बंदरगाह से भारत से मसाला का आयत करते थे. और उस दौर में भी दक्षिण भारत का यह बंदरगाह व्यापार करने के मुख्य केंद्र बना हुआ था. 

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