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बाढ़ की जिंदगी, उधार सी: घर-दुकान बह गए और खाने-दवा की किल्लत रुला रही, मंडी की कहानी 

अभी भी जो यहां की स्थिति है, वह बहुत बेहतर नहीं है. यहां पर लगातार खतरा बना हुआ है. इसी खतरे में जो गांव के लोग हैं, वह रह रहे हैं और चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

बाढ़ की जिंदगी, उधार सी: घर-दुकान बह गए और खाने-दवा की किल्लत रुला रही, मंडी की कहानी 
  • हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से चौहार घाटी के आरंग नाले में अचानक बाढ़ आई, जिससे भारी नुकसान हुआ.
  • बाढ़ में दस फुटब्रिज, तीन दुकानें, दो मकान और दो पशुशालाएं बह गईं, साथ ही दो कारें भी नाले में चली गईं.
  • बादल फटने के पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन गांव का रास्ता बंद है और लोग दवाइयों के लिए तरस रहे हैं.
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हिमाचल प्रदेश के मंडी में बाढ़ और बारिश लगातार अपना कहर बरसा रहे हैं. बादल फटने के बाद से कई जगहों पर भारी नुकसान हुआ है, जिससे हालात बद से बदतर हो गए हैं. मंडी से 50 किलोमीटर दूर चौहार घाटी में रविवार देर रात बादल फटने से आरंग नाले में अचानक से बाढ़ आ गई. इसके बाद सनवाड़ गांव में काफी नुकसान हो गया.

बादल फटने की घटना रात करीब 3 बजे की बताई जा रही है. चश्मदीदों के मुताबिक, अचानक से तेज धमाका हुआ, जिसकी आवाज सुनकर लोग डर के मारे भाग गए. स्थानीय निवासी जितेन्द्र कुमार ठाकुर ने बताया कि मेरी चार दुकान पूरी तरीके से तबाह हो गई. दुकान में करीब दो से ढाई लाख का सामान रखा था. करीबन 4 घंटे में सब कुछ हो गया.

आरंग नाले में आए बाढ़ में 10 फुटब्रिज, तीन दुकानें, दो मकान व दो पशुशालाएं बह गईं. नाला अपने साथ दो कारों और एक बाइक को भी बहा ले गया. वहीं, सरकारी स्कूल में भी पानी घुस गया, उसकी दीवार टूट गई. बादल फटने की घटना हुए 5 दिन से अधिक का समय बीत चुका है. पर हालात अब तक सामान्य नहीं हो पाए हैं. आलम यह है कि लोगों को दवा तक नहीं मिल पा रही है. गांव तक जाने के लिए रास्ता नहीं है और कई घर अभी भी खतरे की निशान पर हैं.

बाढ़ झेल रहे लोगों की सुनिए

स्थानीय निवासी मणिराम बताते हैं, मरना होगा तो मर जाएंगे... घर है नहीं तो कहां जाएं. खाने रोटी का तो जुगाड़ करना पड़ेगा. हमारे पास कोई नौकरी नहीं है, ना ही कोई कामकाज है. रेशमी देवी बताती हैं, हम लोगों को भी डर लगता है, पर कहां जाएं... घर है नहीं, मजदूरी भी नहीं है. बारिश की वजह से कोई कमाई नहीं है, सब कुछ बह गया, क्या कमाई होगी. 7 लोगों का परिवार है, 4 बच्चे हैं, बहुत मुश्किल से पल रहे हैं. नुकसान बहुत हो गया है, बीमार हो रहे हैं तो दवाई भी नहीं मिल रही.

अभी भी जो यहां की स्थिति है, वह बहुत बेहतर नहीं है. यहां पर लगातार खतरा बना हुआ है. इसी खतरे में जो गांव के लोग हैं, वह रह रहे हैं और चुनौतियों से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी भी इस बात की उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो सकेगी ताकि उनका जीवन फिर से पटरी पर लौट सकेगा.

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