पिछले दो दशक से रेलवे से मिलने वाली रियायतों (Railway Concessions) की खूब चर्चा होती है. 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया, लेकिन कोरोना काल में यानी मार्च 2020 से तो उन रियायतों को निलंबित ही कर दिया गया, जिसे अब तक बहाल नहीं किया गया है. सरकार ने फिलहाल इसे शुरू करने से भी इनकार किया है. हालांकि सांसद और पूर्व सांसदों के मामले में रेलवे की तिजोरी आज भी खुली है.
पिछले 5 सालों की ही अगर बात करें तो 2017-18 में 19,34,40,000 रुपये, 2018-19 में 19,75,80,000 रुपये, 2019-20 में 16,46,60,000 रुपये, 2020-21 में 2,47,40,000 करोड़ रुपये और 2021-22 में 3,99,75,220 रुपये सांसदों और पूर्व सांसदों को रेलवे में रियायत के तौर पर मिली है.
संसद में बैठकर हुक्मरानों ने वरिष्ठ नागरिकों के लिये रेलवे रियायत को पहले वैकल्पिक बनाया और फिर पिछले 2 सालों से तो इसे लगभग बंद ही कर दिया.
भोपाल के रहने वाले यात्री जगन्नाथ गुप्ता ने कहा कि मुश्किल से खर्च चलता है, ऐसे में सफर चुभने लगा है. ये सरकार की नाकामी है, वो सिर्फ अपनी ही कर रही है, आम आदमी को कोई राहत नहीं है. जनतंत्र में यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है विधायक-सांसद को आजीवन पेंशन, कैंटीन, हर चीज की सुविधा मिलती है, लेकिन जनता को कुछ नहीं.
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सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त चांड जॉर्ज भी कहते हैं कि 30-40 साल की नौकरी के बाद कुछ रियायतें ही मिलती थीं सरकार ने सब ले ली, कोई कंसेशन नहीं मिल रहा है पूरा चार्ज देना पड़ रहा है, कोविड में बंद कर दिया अब चालू करने की कोई गुंजाइश नहीं है. सांसदों को सब कुछ फ्री मिल रहा है 2-3 पेंशन भी.. कसेंशन भी.. हमें क्या मिल रहा है. 30-40 साल काम करने के बाद भी हम टैक्स दे रहे हैं, लेकिन बदले में थोड़ी बहुत सुविधाएं भी बंद कर दी गई.
रेलवे ने मार्च 2020 से दो वर्षों में वरिष्ठ नागरिक से 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व कमाया है. सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रेशखर गौड़ ने जो आंकड़े जुटाये हैं वो बताते हैं कि 20 मार्च 2020 और 31 मार्च 2022 के बीच रेलवे ने 7.31 करोड़ वरिष्ठ नागरिक यात्रियों को रियायतें नहीं दीं.
इनमें 60 साल से अधिक के 4.46 करोड़ पुरुष, 58 से अधिक उम्र की 2.84 करोड़ महिलाएं और 8,310 ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इस दौरान वरिष्ठ नागरिकों को टिकट बेचकर 3,464 करोड़ रुपये कमाये गये हैं, जिसमें रियायत बंद करने की वजह से कमाये गये अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये शामिल हैं.
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गौड़ कहते हैं सांसदों-पूर्व सांसदों के लिये रेलवे के पास खूब पैसा है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के लिये नहीं, उम्र के इस पड़ाव में आय के अधिकतर स्रोत सूख चुके होते हैं, सरकार की जिम्मेदारी है कि वो वरिष्ठ नागरिकों की मदद करे, मेरी अपील है कि उनको मिलने वाली रियायत बहाल हो.
दरअसल कोरोना से पहले महिला वरिष्ठ नागरिक यात्री 50 फीसद रियायत के लिए पात्र होते थे, जबकि पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी वर्गों में 40 प्रतिशत छूट का लाभ उठा सकते थे, एक महिला के लिए रियायत का लाभ उठाने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 वर्ष थी, जबकि एक पुरुष के लिए यह 60 वर्ष था.
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