पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और उसका किसी भी समुदाय के सामाजिक रीति-रिवाज़ों से छेड़छाड़ का कोई इरादा नहीं. इस बयान से सवाल उठ रहा है कि सभी भारतीयों के लिए समान नागरिक संहिता, यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाए जाने के मुद्दे पर AAP का वास्तविक रुख क्या है.
गौरतलब है कि भगवंत मान के बयान से कुछ ही दिन पहले AAP के वरिष्ठ नेता संदीप पाठक ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि AAP 'सैद्धांतिक रूप से' समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है.
AAP के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) तथा राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने पिछले सप्ताह कहा था, "सिद्धांत रूप में, हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं... संविधान का अनुच्छेद 44 भी इसका समर्थन करता है, लेकिन चूंकि यह मुद्दा सभी धार्मिक समुदायों से संबंधित है, इसलिए आम सहमति बनाने के लिए व्यापक परामर्श और प्रयास होने चाहिए..."
संदीप पाठक की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता की ज़ोरदार वकालत किए जाने के बाद आई थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए UCC अहम चुनावी मुद्दा होगा.
AAP नेता की टिप्पणी को कांग्रेस के साथ पार्टी के टकराव की पृष्ठभूमि में भी देखा गया. अरविंद केजरीवाल-नीत पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस सहित किसी भी विपक्षी मोर्चे में शामिल होना 'बहुत मुश्किल' होगा, जब तक कांग्रेस दिल्ली के नौकरशाहों को नियंत्रित करने के केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उसका समर्थन नहीं करती.
सियासी तौर पर संवेदनशील मुद्दे को लेकर भगवंत मान की टिप्पणी उनकी पार्टी के सहयोगी की टिप्पणी से बिल्कुल अलग है. UCC पर एक सवाल का जवाब देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने देश में विभिन्न समुदायों द्वारा अपनाए जाने वाले विभिन्न रीति-रिवाजों का ज़िक्र किया और भारत की तुलना गुलदस्ते से करते हुए पूछा, "क्या गुलदस्ते में केवल एक रंग होना चाहिए...?"
पंजाब के मुख्यमंत्री ने पंजाबी में कहा, "मुझे नहीं पता कि वे इन रीति-रिवाज़ों के साथ छेड़छाड़ क्यों कर रहे हैं...? समुदायों को जनजातियां मत बनाइए..."
भगवंत मान ने कहा कि UCC का समर्थन करने वालों का कहना है कि यह सभी को सामाजिक रूप से समान बना देगा. उन्होंने कहा, "क्या सामाजिक रूप से हर कोई समान होगा...? नहीं... बहुत सारे दबे-कुचले लोग हैं, उन्हें अवसर नहीं मिल रहे हैं..."
उन्होंने BJP पर चुनाव के मद्देनज़र UCC के मुद्दे को उठाने का आरोप लगाते हुए कहा, "AAP ऐसी प्रथाओं से छेड़छाड़ नहीं करती है, AAP एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, और हम सिर्फ देश को नंबर 1 बनाना चाहते हैं..."
भगवंत मान की टिप्पणी पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसने पहले UCC के समर्थन को लेकर AAP पर निशाना साधा था. अकाली दल नेता दलजीत एस. चीमा ने एक वीडियो बयान में कहा, "पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को अब AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल से UCC पर पार्टी का रुख स्पष्ट करने और इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर AAP के दोहरे मानदंड खत्म करने के लिए कहना चाहिए... यह चौंकाने वाली बात है कि AAP राज्यसभा में UCC के पक्ष में मतदान करना चाहती है, लेकिन भगवंत मान यह कहकर पंजाबियों को बेवकूफ बना रहे हैं कि पार्टी पंजाब में UCC के खिलाफ है..."
The Punjab CM @BhagwantMann should now tell AAP Convener @ArvindKejriwal to clearly spell out party ‘s stand on UCC & end AAP's double speak on this sensitive issue. It is shocking that AAP wants to vote in favour of UCC in Rajya Sabha even as Bhagwant Mann is befooling Punjabis… pic.twitter.com/PKaTuEaus0
— Dr Daljit S Cheema (@drcheemasad) July 4, 2023
समान नागरिक संहिता को AAP के 'सैद्धांतिक' समर्थन के बाद अकाली दल को पंजाब में एक राजनीतिक अवसर का एहसास हुआ है.
पंजाब की आबादी में सिखों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है. समुदाय के प्रमुख संगठन और नेता सिख समुदाय की विशिष्ट पहचान को रेखांकित करते रहे हैं और अतीत में BJP पर हिन्दुत्व पर ज़ोर देने की कोशिशों के तहत उनके इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाते रहे हैं.
पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गुरुद्वारों को नियंत्रित करने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने पिछले साल समान नागरिक संहिता के खिलाफ बयान जारी किया था और कहा था कि यह देशहित में नहीं है.
SGPC में फिलहाल अकाली दल के सदस्यों का दबदबा है, और SGPC ने बार-बार भगवंत मान सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा की है. हाल ही में सिखों के सबसे प्रतिष्ठित गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर से गुरबानी के मुफ्त प्रसारण के मामले में भी विवाद पैदा हो गया था.
अब अकाली दल UCC के मुद्दे पर AAP को घेरने और अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाने की कोशिश कर रही है.
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