वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कांग्रेस और यूपीए सरकार के खिलाफ चौतरफा हमला बोलते हुए शुक्रवार को कहा कि यूपीए सरकार का शासन "दिशाहीन और नेतृत्वहीन" था. साथ ही कहा कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने "सुपर प्रधानमंत्री" के रूप में काम किया. श्वेत पत्र पर बहस के जवाब में उन्होंने 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और उसके बाद भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की अर्थव्यवस्था को लेकर तुलना की. वित्त मंत्री ने 2013 की एक घटना को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भी निशाना साधा, जब उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के एक प्रस्तावित अध्यादेश को 'फाड़ दिया' था. वित्त मंत्री ने राहुल गांधी को अहंकारी कहा और उनके कृत्य को "अपने ही प्रधानमंत्री" का अपमान बताया.
वित्त मंत्री का कहना था, ‘‘अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए 10 साल तक प्रयास करने के बाद हम आज ‘फ्रेजाइल 5' से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं. जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे.''
710 फाइलें एनएसी को क्यों भेजी गईं? : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल के दौरान समस्याएं और कुप्रबंधन नेतृत्व के कारण था. उन्होंने कहा, "नेतृत्व समस्या के मूल में था. दिशाहीन, नेतृत्वहीन नेतृत्व यूपीए के कुप्रबंधन का केंद्र था. यह घोटाले के 10 साल थे. सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (National Advisory Council) की अध्यक्ष के रूप में सुपर प्रधानमंत्री थीं."
सीतारमण ने आरोप लगाया कि शासन पर दबाव था क्योंकि सोनिया गांधी को एनएसी अध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त-संवैधानिक अधिकार मिला था, जिसे प्रधानमंत्री के लिए एक सलाहकार बोर्ड के रूप में स्थापित किया गया था. उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा 710 फाइलें "अनुमति" के लिए एनएसी के पास भेजी गई थीं. उन्होंने कहा, "यह गैर जिम्मेदार, गैर जवाबदेह शक्ति थी, 710 फाइलें एनएसी को क्यों भेजी गईं?"
विपक्ष के सरकार पर संस्थानों का सम्मान नहीं करने के आरोप पर वित्त मंत्री ने राहुल गांधी से जुड़ी 2013 की घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश में थे. राहुल गांधी ने एक अध्यादेश फाड़ दिया और उसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फेंक दिया. क्या यह अपने ही प्रधानमंत्री का अपमान नहीं है? वह अहंकारी थे, उन्हें अपने ही प्रधानमंत्री की परवाह नहीं थी. वे अब संस्थानों के बारे में चिल्ला रहे हैं और हमें लेक्चर दे रहे हैं.''
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या किया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में फैसला सुनाया था कि कम से कम दो साल की सजा वाले सांसदों और विधायकों को तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और उन्हें अपील करने के लिए तीन महीने का समय नहीं मिलेगा. मनमोहन सिंह सरकार ने इसे पलटने के लिए एक अध्यादेश का प्रस्ताव रखा था.
राहुल गांधी ने अध्यादेश को "पूरी तरह से बकवास" करार दिया और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैं व्यक्तिगत तौर पर सोचता हूं कि सरकार अध्यादेश पर जो कर रही है वह गलत है. यह एक राजनीतिक निर्णय था, हर पार्टी ऐसा करती है और इसे रोकने का समय आ गया है, अगर हम वास्तव में भ्रष्टाचार रोकना चाहते हैं तो हम ये समझौते नहीं कर सकते."
उन्होंने कहा था कि अध्यादेश को "फाड़ कर बाहर फेंक देना चाहिए" और फिर कैमरे के सामने कागज फाड़ दिया था.
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