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This Article is From Feb 03, 2023

जम्मू कश्‍मीर राज्‍य में हम बेहतर थे : लद्दाख को लेकर बोले सोनम वांगचुक 

वांगचुक ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के प्रभाव को समझने में उन्हें समय लगा है. 

जम्मू कश्‍मीर राज्‍य में हम बेहतर थे : लद्दाख को लेकर बोले सोनम वांगचुक 
सोनम वांगचुक ने मंगलवार को ही अपना पांच दिवसीय अनशन समाप्त किया था.
श्रीनगर:

लद्दाख (Ladakh) के शीर्ष पर्यावरणविद और जाने-माने इनोवेटर सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने कहा है कि लद्दाख स्थायी रूप से राज्यपाल के शासन के अधीन नहीं रह सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे में असुरक्षित महसूस करते हैं. वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग पर उपवास किया था, जो पांच दिनों के बाद मंगलवार को खत्‍म हुआ. वांगचुक ने कहा, "अब धारा 370 जैसी कोई सुरक्षा नहीं है. इसलिए हम मांग करते हैं कि लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत अनुच्‍छेद 244 की सुरक्षा होनी चाहिए."

वांगचुक ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के प्रभाव को समझने में उन्हें समय लगा है. 

वांगचुक ने भाजपा सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा देने और लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया था. 

अब उनका कहना है कि उन्हें यह स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया है कि जम्मू-कश्मीर राज्‍य के पूर्व हिस्से के रूप में वे बेहतर स्थिति में थे. 

वांगचुक ने कहा, “लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यह हमें कैसे प्रभावित कर रहा है, इसे समझने में समय लगा. जब क्षेत्र के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं तो मैं असुरक्षित और बचाव रहित महसूस करता हूं.” 

वांगचुक ने मंगलवार को अपना पांच दिनों का अनशन समाप्त किया. इस मौके पर लेह के पोलो मैदान में उनके समर्थन में  तो हजारों लोग जुटे. साथ ही उन्‍होंने अलग राज्य और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. 

2019 में केंद्र शासित प्रदेश का जश्न मनाने से लेकर अब लद्दाख सीधे केंद्रीय शासन के खिलाफ हो चुका है. वांगचुक का कहना है कि जब शासन चलाने में स्थानीय लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है और क्षेत्र अपनी संस्कृति, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के प्रति आसन्न खतरे का सामना कर रहा है, तो वह चुप नहीं रह सकते हैं. 

अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान वांगचुक ने कहा, "मैं यह कभी नहीं कहना चाहता था, लेकिन मेरा कहना है कि हम जम्‍मू-कश्मीर में बेहतर थे." 

बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने अलग राज्य और विशेष दर्जे की मांग को लेकर गठबंधन किया है. पिछले महीने गठबंधन ने एजेंडे में छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा शामिल न करने को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता वाली केंद्र की उच्चस्तरीय समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. 

बीजेपी का कहना है कि यह लद्दाख के नेताओं का पलटना है, जो पहले केंद्र शासित प्रदेश में बदलाव की मांग कर रहे थे. 

भाजपा प्रवक्ता आरएस पठानिया ने कहा, "हालांकि सरकार ने मुद्दों से निपटने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के नेतृत्व में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है, लेकिन देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि मांगों का बदलना भी समाप्त हो जाएगा."

लद्दाखी नेताओं का कहना है कि लद्दाख में लोगों के बीच नाराजगी बढ़ रही है और केंद्र के साथ राज्य के दर्जे और 6वीं अनुसूची पर बातचीत होनी चाहिए. 

कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के नेता सज्जाद हुसैन कारगिली ने कहा, “संवाद, संवाद के लिए नहीं होना चाहिए. यह रिजल्ट ओरिएंटेड होना चाहिए. लद्दाख में नाराजगी गहराती जा रही है. हम चाहते हैं कि सरकार लद्दाख के लोगों को सूचीबद्ध करे." 

पिछले तीन सालों में भाजपा के लद्दाख प्रमुख चेरांग दोरजे सहित कई भाजपा नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. हाल ही में दोरजे ने NDTV को बताया कि केंद्र ने उन्हें मूर्ख बनाया है और लद्दाख की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वे जम्मू कश्मीर राज्य में बेहतर स्थिति में थे. 

ऐसे समय में जब देश लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक चीनी चुनौती का सामना कर रहा है, लद्दाख के लोगों के बीच असंतोष केंद्र के लिए बड़ी समस्या बन रहा है. 

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