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किसी ने दिया इस्‍तीफा तो कोई कर रहा प्रदर्शन... SIR प्रक्रिया में लगे BLO क्‍यों हैं परेशान?

एसआईआर प्रक्रिया को लेकर एक ओर विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं तो बीएलओ भी काफी परेशान हैं. आलम ये है कि कोई इस्तीफा दे रहा है तो कोई प्रदर्शन कर अपनी पीड़ा को बता रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर बीएलओ क्‍यों परेशान है.

किसी ने दिया इस्‍तीफा तो कोई कर रहा प्रदर्शन... SIR प्रक्रिया में लगे BLO क्‍यों हैं परेशान?
  • देशके 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया जारी है.
  • BLO पर काम का दबाव और दोहरी जिम्मेदारी के कारण कई कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
  • बीएलओ को अपने मूल कार्यों के साथ SIR का काम करना पड़ता है, जिससे उन्हें तनाव और दबाव का सामना करना पड़ता है.
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नई दिल्‍ली :

बिहार के बाद देश के 12 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Review) की प्रक्रिया जारी है. हालांकि विपक्षी पार्टियां एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सवाल उठा रही हैं तो बीएलओ की मौतों और पद से इस्‍तीफों के मामले भी बड़ी संख्‍या में लगातार सामने आ रहे हैं. आलम ये है कि कोई  इस्तीफा दे रहा है तो कोई प्रदर्शन कर अपनी पीड़ा को बता रहा है तो किसी ने ड्यूटी लेने से ही इनकार कर दिया है. ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर एसआईआर ड्यूटी को लेकर बीएलओ परेशान क्‍यों हैं. 

एसआईआर प्रक्रिया में लगे बीएलओ से जुड़े कुछ मामले 

  1. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के तरबगंज तहसील में प्राथमिक विद्यालय जैतपुर माझा में तैनात सहायक अध्यापक और बीएलओ विपिन यादव ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खा लिया. उन्हें लखनऊ रेफर किया गया है. लखनऊ जाने से पहले गोंडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती सहायक अध्यापक विपिन यादव ने कहा था कि मेरे ऊपर मतदाता पुनरीक्षण कार्य को लेकर के एसडीएम तरबगंज, बीडीओ नवाबगंज और और लेखपाल दबाव बना रहे थे. इससे परेशान होकर उन्होंने जहर खाया है. 
  2. पश्चिम बंगाल में बीएलओ ने काम के कथित अत्यधिक दबाव के विरोध में प्रदर्शन किया है. बीएलओ ने सीईओ कार्यालय में घुसने का प्रयास किया और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की. 
  3. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर की डीएम मेधा रूपम ने एसआईआर में कथित लापरवाही और नियमों का पालन न करने के लिए 60 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) और सात पर्यवेक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 के तहत यह मामले दर्ज किए गए हैं. 
  4. उत्तर प्रदेश के बहराइच में जिला प्रशासन ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के काम में लापरवाही बरतने के आरोप में कई बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) और कुछ अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
  5. पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में बीएलओ के रूप में कार्यरत एक महिला का शव उसके आवास पर फंदे से लटका मिला. 
  6. महिला के परिवार के सदस्यों का दावा है कि महिला काम की वजह से काफी तनाव में थी और इसी वजह से आत्महत्या कर ली. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विवेकानंद विद्यामंदिर में पैरा-शिक्षिका 52 वर्षीय महिला का शव कृष्णानगर के छपरा के बंगालझी इलाके में स्थित उसके आवास के कमरे में फंदे से लटका मिला. 
  7. मध्यप्रदेश में एसआईआर के लिए सर्वे करने वाले दो शिक्षक-सह-बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) की रायसेन और दमोह जिलों में मौत हो गई. मृत शिक्षकों के परिजनों और दोस्तों ने ज्‍यादा काम और गिनती के लक्ष्य पूरा करने के दबाव को मौत का कारण बताया है. 
  8. नोएडा में एक महिला टीचर ने बीएलओ के पद से इस्‍तीफा दे दिया है. अपने इस्‍तीफे में महिला शिक्षक ने कहा है कि बीएलओ और शिक्षण कार्य एक साथ नहीं हो सकते हैं. साथ ही पूछा है कि वो निर्वाचन सामग्री को किसे सौंपे. 

एसआईआर प्रक्रिया में लगे बीएलओ से जुड़े यह कुछ चुनिंदा मामले हैं. यह बताते हैं कि बीएलओ पर काम का दबाव बहुत ज्‍यादा है. 

कौन होते हैं बीएलओ? 

बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसर. प्रदेश के अलग-अलग विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों को बीएलओ की जिम्‍मेदारी सौंपी जाती है. यह कर्मचारी चुनाव आयोग के लिए अपने काम के अतिरिक्‍त काम करते हैं. बीएलओ होने के लिए सरकारी या अर्ध सरकारी कर्मचारी या अधिकारी होना जरूरी है. वहीं नियम कहता है कि वह उस बूथ क्षेत्र का मतदाता या निवासी होना चाहिए, जिससे स्‍थानीय लोगों की पहचान कर सके. सरकारी स्‍कूल के शिक्षकों से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव, स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, नगर निगम, नगर पालिका के कर्मचारियों को बीएलओ बनाया जा सकता है. 

SIR में क्‍या है योगदान?

एसआईआर प्रक्रिया में बीएलओ की अहम भूमिका होती है. चुनाव आयोग के लिए बीएलओ एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची को अपडेट करने का काम करते हैं. इसमें मतदाता तक फॉर्म पहुंचाना और उसे भरने में मदद करना होता है. ऐसे में बीएलओ को घर-घर जाना होता है. यह बीएलओ की जिम्‍मेदारी होती है कि अनावश्‍यक लोगों का नाम वोटर लिस्‍ट से हटे और पात्र लोगों के नाम शामिल हों. 

कैसे होती है नियुक्ति?

बीएलओ की नियुक्ति जिला निर्वाचन अधिकारी की स्‍वीकृति से निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी करते हैं. लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1950 के तहत एक बीएलओ की नियुक्ति की जाती है. 

क्‍यों परेशान हैं बीएलओ?

बीएलओ सरकारी कर्मचारी होते हैं. ऐसे में उन्‍हें अपने मूल कार्यों के साथ ही एसआईआर का भी कार्य करना पड़ रहा है. यही कारण है कि इस दोहरी जिम्‍मेदारी के कारण बीएलओ काफी परेशान हैं. बीएलओ को मतदाता तक पहुंचना होता है. इसके चलते घर-घर जाना होता है. कई बार सार्वजनिक अवकाश और छुट्टी के दिन भी बीएलओ को काम करना पड़ता है. दोहरी जिम्‍मेदारी के कारण कई बार उन्‍हें तनाव से गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही एसआईआर प्रक्रिया में अब बेहद कम वक्‍त बचा है. ऐसे में टारगेट पूरा करने की चिंता भी उन्‍हें परेशान कर रही है. 

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