दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए पासपोर्ट अधिकारियों को आदेश दिया है कि वो उसके नाबालिग बेटे के पासपोर्ट से पिता का नाम हटा दें और बच्चे को नया पासपोर्ट जारी किया जाए. याचिकाकर्ता (एकल मां) ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि बच्चे को उसके पिता ने उसके जन्म से पहले ही छोड़ दिया था और बच्चे को उसने अकेले ही पाला है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि यह एक ऐसा मामला होगा, जहां पिता ने बच्चे को पूरी तरह से छोड़ दिया है. पीठ ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, इस न्यायालय की राय है कि अध्याय 8 का खंड 4.5.1 और अध्याय 9 का खंड 4.1 स्पष्ट रूप से लागू होगा. परिस्थितियों के अनुसार यह निर्देश दिया जाता है कि बच्चे के पिता का नाम पासपोर्ट से हटा दिया जाए और पिता के नाम के बिना नाबालिग बच्चे को पासपोर्ट फिर से जारी किया जाए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ खास परिस्थितियों में जैविक पिता का नाम हटाया जा सकता है और उपनाम बदला भी जा सकता है.
दरअसल याचिकाकर्ता मां का कहना था कि चूंकि वह सिंगल पैरेंट हैं और पिता ने बच्चे को पूरी तरह से छोड़ दिया है. यह एक ऐसा मामला है जहां पासपोर्ट अधिकारियों द्वारा बच्चे के पिता के नाम पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में 19 अप्रैल के फैसला सुनाते हुए पासपोर्ट अधिकारियों को आदेश दिया कि बच्चे के पिता का नाम पासपोर्ट से हटा दिया जाए और एक नया पासपोर्ट जारी किया जाए.
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