जाकिर नाईक (फाइल फोटो)
मुंबई:
शिवसेना ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक को सउदी अरब से भारत लौटते ही गिरफ्तार किए जाने की मांग की है। शिवसेना ने नाईक के ‘‘पीस टीवी’’ नेटवर्क को भी बंद करने की मांग की है। शिवसेना को यह भी लगता है कि जाकिर नाईक का ‘‘सामाजिक कार्य’’ जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर की गतिविधियों की तरह है।
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जाकिर नाईक के समर्थन में दारूल उलूम देवबंद के उप कुलपति
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मुंबई में रहने वाले नाईक के आज दोपहर तक शहर वापस लौटने की संभावना है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पिछले दिनों एक रेस्तरां में हुए आतंकी हमले की हमलावर नाईक के भाषणों से प्रेरित बताए जा रहे हैं। इन खबरों के आने के बाद लोगों में नाईक के प्रति आक्रोश है। हालांकि नाईक खुद पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है।
'नरसंहार से उजागर हो गई शांति संदेशों की असलियत'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा है ‘‘जिस तरह पाकिस्तान में रह रहे अजहर मसूद जैसे उन्मादी खुलेआम जहर उगलते है, उसी तरह जाकिर नाईक जैसे लोग शांति के नाम पर अपने सामाजिक कार्य की आड़ में अपने इरादों को अंजाम देते हैं। नाईक पिछले कई साल से राष्ट्र विरोधियों को संरक्षण देते रहे हैं तथा ढाका में नरसंहार के बाद उनके द्वारा दिए जा रहे शांति के उपदेशों की असलियत उजागर हो गई है।’’
'गिरफ्तार कर उसी कोठरी में रखें जहां कसाब रखा गया था'
नाईक को अपनी गतिविधियां जारी रखने की अनुमति देने के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि नाईक को उसी कोठरी में रखा जाना चाहिए जहां पहले मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को रखा गया था।
'नाईक के वित्तीस श्रोतों को नष्ट करे सरकार'
शिवसेना ने संपादकीय में कहा, ‘‘पीस टीवी वास्तव में प्रचारक टीवी है। केद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार को साहस दिखाना चाहिए और इस चैनल की समस्त मशीनरी को नष्ट कर देना चाहिए।’’ पार्टी ने मांग की है ‘‘सरकार जब चाहेगी, काला धन वापस ला सकती है। लेकिन अभी सरकार को चाहिए कि वह नाइक के वित्तीय स्रोतों को तत्काल नष्ट करे क्योंकि वह जो खेल खेल रहा है, वह हमारे देश को नष्ट कर देगा। जैसे ही वह देश लौटे, उसे तत्काल गिरफ्तार किया जाए।’’
गौरतलब है कि बांग्लादेश सरकार ने नाईक के भाषणों के प्रसारक पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह खबरें आई थीं कि ढाका में एक रेस्तरां पर एक जुलाई को किए गए हमले को अंजाम देने वाले कुछ बांग्लादेशी उग्रवादी नाइक के कथित ‘‘भड़काउ’’ भाषणों से प्रेरित थे। इस हमले में 22 लोगों की जान गई थी । मृतकों में अधिकतर विदेशी नागरिक थे।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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जाकिर नाईक के समर्थन में दारूल उलूम देवबंद के उप कुलपति
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मुंबई में रहने वाले नाईक के आज दोपहर तक शहर वापस लौटने की संभावना है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पिछले दिनों एक रेस्तरां में हुए आतंकी हमले की हमलावर नाईक के भाषणों से प्रेरित बताए जा रहे हैं। इन खबरों के आने के बाद लोगों में नाईक के प्रति आक्रोश है। हालांकि नाईक खुद पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है।
'नरसंहार से उजागर हो गई शांति संदेशों की असलियत'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा है ‘‘जिस तरह पाकिस्तान में रह रहे अजहर मसूद जैसे उन्मादी खुलेआम जहर उगलते है, उसी तरह जाकिर नाईक जैसे लोग शांति के नाम पर अपने सामाजिक कार्य की आड़ में अपने इरादों को अंजाम देते हैं। नाईक पिछले कई साल से राष्ट्र विरोधियों को संरक्षण देते रहे हैं तथा ढाका में नरसंहार के बाद उनके द्वारा दिए जा रहे शांति के उपदेशों की असलियत उजागर हो गई है।’’
'गिरफ्तार कर उसी कोठरी में रखें जहां कसाब रखा गया था'
नाईक को अपनी गतिविधियां जारी रखने की अनुमति देने के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि नाईक को उसी कोठरी में रखा जाना चाहिए जहां पहले मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को रखा गया था।
'नाईक के वित्तीस श्रोतों को नष्ट करे सरकार'
शिवसेना ने संपादकीय में कहा, ‘‘पीस टीवी वास्तव में प्रचारक टीवी है। केद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार को साहस दिखाना चाहिए और इस चैनल की समस्त मशीनरी को नष्ट कर देना चाहिए।’’ पार्टी ने मांग की है ‘‘सरकार जब चाहेगी, काला धन वापस ला सकती है। लेकिन अभी सरकार को चाहिए कि वह नाइक के वित्तीय स्रोतों को तत्काल नष्ट करे क्योंकि वह जो खेल खेल रहा है, वह हमारे देश को नष्ट कर देगा। जैसे ही वह देश लौटे, उसे तत्काल गिरफ्तार किया जाए।’’
गौरतलब है कि बांग्लादेश सरकार ने नाईक के भाषणों के प्रसारक पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह खबरें आई थीं कि ढाका में एक रेस्तरां पर एक जुलाई को किए गए हमले को अंजाम देने वाले कुछ बांग्लादेशी उग्रवादी नाइक के कथित ‘‘भड़काउ’’ भाषणों से प्रेरित थे। इस हमले में 22 लोगों की जान गई थी । मृतकों में अधिकतर विदेशी नागरिक थे।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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