उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)ने असली शिवसेना (Shiv Sena)को लेकर दिए गए महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर (Maharashtra Speaker) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर (Rahul Narwekar) ने बुधवार को अपने फैसले में कहा था कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट ही असली शिवसेना है. स्पीकर ने अपना फैसला सुनाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके गुट के 16 विधायकों और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी थी.
स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनका ये निर्णय सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. इसलिए लड़ाई जारी रहेगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के फैसले में शिंदे गुट के व्हिप भरत गोगावले की नियुक्ति को अवैध ठहराया था. नार्वेकर ने इसे वैध ठहराया है.
उद्धव ठाकरे ने पार्टी में बगावत करने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिकाओं को खारिज करने के स्पीकर के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बीते साल जून में अविभावित शिवसेना के 16 विधायक बगावत करते हुए एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए थे. बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे सीएम बने थे, जबकि बीजेपी नेता और पूर्ण सीएम देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे.
हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने सभी अयोग्यता याचिकाएं खारिज कर दी थीं. उद्धव ठाकरे ने स्पीकर नार्वेकर के तर्क को सुप्रीम कोर्ट का 'अपमान' और 'लोकतंत्र की हत्या' बताया है. ठाकरे ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को शिंदे खेमे के निर्देशों पर काम करने का आरोप भी लगाया. उद्धव ठाकरे ने कहा, ''...कल संदेह व्यक्त किया था कि यह लोकतंत्र की हत्या की साजिश है.''
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इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने NDTV से कहा, "उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को जो व्हिप दिया गया था, वह शायद ठीक से नहीं दिया गया था. इसका अर्थ है कि उन्हें अयोग्य ठहराना उचित नहीं था."
SC ने 14 दिसंबर तक तय की थी डेडलाइन
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को इस मामले में आखिरी सुनवाई की थी. तब स्पीकर के लिए फैसला लेने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी. यानी सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के 28वें दिन स्पीकर ने अपना फैसला सुनाया.
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बता दें कि महाराष्ट्र में पिछले साल जून में सियासी उठापटक शुरू हुई थी. ये सियासी उठापटक 11 महीने तक चली. 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था. उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया, ऐसे में कोर्ट पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकता.
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