कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने रविवार को कहा कि पार्टी के लक्ष्यहीन और दिशाहीन होने की लोगों में बढ़ती धारणा को खत्म करने के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष (Congress New President) ढूंढ़ने की प्रक्रिया अवश्य ही तेज करना चाहिए. कांग्रेस के लोकसभा सदस्य ने यह भी कहा कि उन्हें निश्चित रूप से ऐसा लगता है कि पार्टी का एक बार फिर से नेतृत्व करने के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास ‘‘साहस, क्षमता और योग्यता'' है, लेकिन यदि वह ऐसा करना नहीं चाहते हैं तो पार्टी को एक नया अध्यक्ष चुनने की दिशा में अवश्य ही आगे बढ़ना चाहिए.
उनकी यह टिप्पणी काफी मायने रखती है क्योंकि यह सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर 10 अगस्त को एक साल पूरा करने से ठीक पहले (पूर्व संध्या पर) आई है. वहीं, अब भी पार्टी द्वारा उनके उत्तराधिकारी को चुना जाना बाकी है.
कांग्रेस सांसद ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरा निश्चित तौर पर मानना है कि हमें अपने नेतृत्व के आगे बढ़ने के बारे में स्पष्ट होना चाहिए. मैंने पिछले साल अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया जी की नियुक्ति का स्वागत किया था, लेकिन मेरा मानना है कि उनसे अनिश्चितकाल तक इस जिम्मेदारी को उठाने की उम्मीद करना उचित नहीं होगा.''
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हमें लोगों में बढ़ती और उपेक्षा करने वाली मीडिया द्वारा तूल दी जा रही यह धारणा भी खत्म करनी होगी कि कांग्रेस लक्ष्यहीन और दिशाहीन है, विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की भूमिका निभा पाने में अक्षम है.''
थरूर ने कहा कि एक पूर्णकालिक अध्यक्ष तलाशने की प्रक्रिया में तेजी लाकर कांग्रेस द्वारा फौरन इस मुद्दे का समाधान करने की जरूरत है. इसे एक भागीदारीपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से किया जाए जो विजेता उम्मीदवार को वैध अधिकार एवं विश्वसनीयता प्रदान करे, जो पार्टी में सांगठनिक एवं संरचनागत स्तर पर नयी जान फूंकने के लिए बहुत जरूरी है.
पार्टी अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की वापसी की कांग्रेस में बढ़ती मांग और क्या उनका फिर से कमान संभालना सर्वश्रेष्ठ संभावित परिदृश्य होगा, इस बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा , ‘‘बेशक, यदि राहुल गांधी फिर से नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं तो उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेना होगा. वह दिसंबर 2022 तक सेवा देने के लिए चुने गए थे और उन्हें फिर से बागडोर थामनी होगी. ''
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यदि वह (राहुल) ऐसा नहीं करते हैं तो हमें आगे बढ़ना होगा. मेरा यह निजी विचार है, जो आप जानते हैं कि मैं कुछ समय से इसकी हिमायत करता आ रहा हूं, यह कि कांग्रेस कार्यकारी समिति और अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाने से निश्चित रूप से पार्टी के हित में कई परिणाम आएंगे. ''
केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद ने कहा एक भागीदारीपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया भावी नेतृत्व की विश्वसनीयता और वैधता को मजबूती प्रदान करेगी, जो एक महत्वपूर्ण चीज होगी क्योंकि वह पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार करने के साथ सांगठनिक चुनौतियों से उत्साहपूर्ण तरीके से निपटेगी. थरूर ने कहा कि व्यापक तर्क किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है, बल्कि एक प्रक्रिया या प्रणाली की हिमायत करने के बारे में है, जिसके जरिए कांग्रेस नेतृत्व के मौजूदा मुद्दे का हल कर सकती है और फिर पार्टी में नयी जान फूंक सकती है तथा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार कर सकती है.
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान अपनी गतिविधियों के जरिए, चाहे यह कोविड-19 का मुद्दा हो या चीन की घुसपैठ का, राहुल गांधी ने अकेले ही मौजूदा सरकार को उसके कार्यों एवं नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराने का उल्लेखनीय काम किया है. '' कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने बेहतरीन दूरदृष्टि भी प्रदर्शित की है, एक रचनात्मक आवाज उठाई है, जिसके जरिए इस चुनौतीपूर्ण समय में लोगों की आकांक्षाओं को सचमुच में समझने की क्षमता दिखाई है. थरूर ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि अध्यक्ष के रूप में या फिर अपनी पसंद के किसी अन्य पद पर रहते हुए वह इसे जारी रखेंगे. ''
उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी ने 10 अगस्त को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली थी.
राम मंदिर के मुद्दे पर अपने रुख में कथित बदलाव को लेकर कांग्रेस के विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना किए जाने के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि वह नहीं मानते हैं कि पार्टी ने अपनी धर्मनिरपेक्षता से कोई समझौता किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने परंपरागत रूप से धर्मनिरपेक्षता के ब्रांड को आगे बढ़ाया है और भारत की बहुलता को मान्यता दी है. दूसरे शब्दों में पार्टी ने विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाया है.
राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस के कई नेताओं के पार्टी के धर्मनिरपेक्ष रुख से अलग टिप्पणी किए जाने को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि जो लोग कांग्रेस को भाजपा के उदार रूप या हिंदुत्व के सौम्य रूप के तौर पर देख रहे हैं, वे कांग्रेस की इस विशेषता को नहीं देख पा रहे हैं - "कि यह सभी लोगों की पार्टी बनी हुई है, अल्पसंख्यकों, कमजोर लोगों और हाशिये पर मौजूद लोगों की सुरक्षित शरणस्थली है तथा मूल रूप से धर्मनिरपेक्षता के प्रति कटिबद्ध है." उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी बड़ी पार्टी है जो यह सब कह सकती है. थरूर ने कहा कि राहुल खुद ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह हिंदुत्व के किसी भी रूप समर्थन नहीं करेंगे, चाहे वह सौम्य हो या फिर कठोर.
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