- तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने नीतीश कुमार सरकार के विकास कार्यों की सराहना की है.
- उन्होंने कहा कि बिहार के विकास को देखकर वे पिछले बीस वर्षों में चकित हैं.
- शशि थरूर ने पहले बिहार में लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी जो अब नहीं है.
पिछले कई दिनों से कांग्रेस पार्टी से दूरी बना रहे तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने आज नीतीश कुमार सरकार के विकास की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि मैं 20 साल में बिहार का विकास देखकर चकित हूं. उन्होंने कहा कि पहले कहा जाता था कि लोग यहां रात को नहीं निकलते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं है. यहां की सड़कें कितनी अच्छी हो गई हैं.
20 साल में बिहार में हुए कामों की जमकर तारीफ
थरूर ने बिहार की सड़कों की तारीफ करते हुए कहा कि यहां सेफ्टी और सुरक्षा अच्छी हुई है. उन्होंने अपने एक सहायक के बयान को याद करते हुए कहा कि एक समय बिहार में कोई शाम साढ़े चार बजे के बाद घर से नहीं निकलता था लेकिन अब सब ठीक है. थरूर ने कहा कि वो रात में साढ़े 10 बजे सड़क पर घूमे हैं. उस दौरान उन्होंने कई लोगों को रात में टहलते देखा. उन्होंने पिछले 20 साल में बिहार में हुए कामों की जमकर तारीफ की.
#WATCH | Nalanda, Bihar: Congress MP Shashi Tharoor inaugurates Nalanda Literature Festival 2025, he says, "... I have heard that the condition was not good (in Bihar) earlier... Everything is good now."
— ANI (@ANI) December 22, 2025
He further adds, "...It is a joy for me to see this campus after 20 years,… pic.twitter.com/gjHTn1dzz6
उन्होंने आगे कहा कि 20 साल बाद इस परिसर को देखकर, लोगों से मिलकर और छात्रों से बातचीत करके मुझे बहुत खुशी हो रही है. नालंदा विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना चाहिए. इसे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का पूरा समर्थन मिलना चाहिए.
नालंदा विश्वविद्यालय भारत की सभ्यतागत विरासत का प्रतीक
बिहार में जारी नालंदा साहित्य महोत्सव के दौरान प्रो. सचिन चतुर्वेदी के साथ साहित्य पर आयोजित एक संवाद सत्र को संबोधित कर रहे थे. तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा, “दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों में भारत का कोई संस्थान नहीं है. हालांकि कुछ विश्वविद्यालय अब शीर्ष 200 में शामिल हुए हैं, लेकिन शीर्ष 10 या यहां तक कि शीर्ष 50 में भी कोई भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है.” उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार का स्वागत करते हुए इसे भारत की सभ्यतागत विरासत का प्रतीक बताया.
थरूर ने कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का एक अग्रणी संस्थान था, “केवल इसलिए नहीं कि उस समय कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी बल्कि इसलिए भी कि वह अपने आप में एक असाधारण संस्थान था.”
थरूर ने बताया कि भारत के पास दुनिया की 17 प्रतिशत बौद्धिक प्रतिभा है लेकिन वैश्विक शोध उत्पादन में उसका योगदान मात्र 2.7 प्रतिशत है, जिसका एक बड़ा कारण फिर से संसाधनों की कमी है.”
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