शहाबुद्दीन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विवादास्पद पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के मामले में बिहार सरकार को एक बार फिर फटकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब शहाबुद्दीन को लंबित मामलों में जमानत मिली थी, तब सरकार ने उस फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी थी. अब मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट में यह क्यों नहीं बताया था कि शहाबुद्दीन के मामले में निचली अदालत में सुनवाई नहीं चल रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ बहुत सारे मामले दर्ज हों, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि एक मामले में जमानत मिलने के बाद आप तब तक चुनौती नहीं दें, जब तक आखिरी मामले में भी जमानत न मिल जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन को आखिरी मामले में जमानत मिलने के बाद बिहार सरकार नींद से जागी है. कोर्ट ने सवाल किया, यह विचित्र स्थिति किसने पैदा की...? इसका जिम्मेदार कौन है...? कोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार इस मामले में गंभीर नहीं रही.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि अगर सरकार को इतनी जल्दी थी तो हाईकोर्ट के जमानत के फैसले को तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए थी. बिहार सरकार के अलावा अपने तीन बेटों को खोने वाले चंदाबाबू ने भी शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की याचिका दी है.
चंदाबाबू ने अपनी याचिका में कहा है कि शहाबुद्दीन के आने से इलाके में एक बार फिर दहशत का माहौल है. इसके साथ ही वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी सीवान में मारे गए तीन भाइयों की मां की तरफ से शहाबुद्दीन की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
वहीं, इस बीच हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि उनके राज्य में कोई डॉन खुला नहीं घूमेगा. इसे शहाबुद्दीन को लेकर उनकी सरकार के रुख की तरह देखा जा रहा है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में सरकार चला रहे गठबंधन में सब कुछ ठीक है.
जानें कब क्या हुआ...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट में यह क्यों नहीं बताया था कि शहाबुद्दीन के मामले में निचली अदालत में सुनवाई नहीं चल रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ बहुत सारे मामले दर्ज हों, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि एक मामले में जमानत मिलने के बाद आप तब तक चुनौती नहीं दें, जब तक आखिरी मामले में भी जमानत न मिल जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन को आखिरी मामले में जमानत मिलने के बाद बिहार सरकार नींद से जागी है. कोर्ट ने सवाल किया, यह विचित्र स्थिति किसने पैदा की...? इसका जिम्मेदार कौन है...? कोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार इस मामले में गंभीर नहीं रही.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि अगर सरकार को इतनी जल्दी थी तो हाईकोर्ट के जमानत के फैसले को तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए थी. बिहार सरकार के अलावा अपने तीन बेटों को खोने वाले चंदाबाबू ने भी शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की याचिका दी है.
चंदाबाबू ने अपनी याचिका में कहा है कि शहाबुद्दीन के आने से इलाके में एक बार फिर दहशत का माहौल है. इसके साथ ही वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी सीवान में मारे गए तीन भाइयों की मां की तरफ से शहाबुद्दीन की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
वहीं, इस बीच हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि उनके राज्य में कोई डॉन खुला नहीं घूमेगा. इसे शहाबुद्दीन को लेकर उनकी सरकार के रुख की तरह देखा जा रहा है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में सरकार चला रहे गठबंधन में सब कुछ ठीक है.
जानें कब क्या हुआ...
- 7 सितंबर : पटना हाइकोर्ट से ज़मानत
- 10 सितंबर : भागलपुर जेल से रिहाई
- 19 सितंबर : ज़मानत के ख़िलाफ़ SC में सुनवाई, SC ने 26 सितंबर को शहाबुद्दीन का पक्ष मांगा, चंद्रकेश्वर प्रसाद की याचिका पर सुनवाई
- 23 सितंबर : तेजप्रताप यादव, शहाबुद्दीन, बिहार सरकार को नोटिस, पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में सुनवाई
- 26 सितंबर : SC ने उतावली बिहार सरकार को फटकार लगाई और सुनवाई 28 सितंबर तक टाली
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