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This Article is From Dec 06, 2021

महाराष्ट्र सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण पर रोक लगाई

निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर महाराष्‍ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण के साथ आगे ना बढ़ने को कहा है.

महाराष्ट्र सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण पर रोक लगाई
कोर्ट ने कहा कि सामान्य वर्ग सहित अन्य आरक्षित सीटों के लिए शेष चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ सकता है
नई दिल्‍ली:

निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर महाराष्‍ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण के साथ आगे ना बढ़ने को कहा है. SC ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना OBC आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता जो अनिवार्य है. अध्यादेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 27% OBC कोटा आयोग की स्थापना के बिना और स्थानीय सरकार के अनुसार प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के बारे में डेटा एकत्र किए बिना लागू नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि सामान्य वर्ग सहित अन्य आरक्षित सीटों के लिए शेष चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ सकता है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी.

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याचिका में महाराष्ट्र के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी, जिसने स्थानीय निकाय चुनावों में 27% ओबीसी कोटा पेश किया था और इसके परिणामस्वरूप राज्य चुनाव आयोग द्वारा उसी को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना अध्यादेश लाई.

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ट्रिपल परीक्षण हैं (1) राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना; (2) आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो; और (3) किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा.

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