केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मानदंडों (EWS Quota) की समीक्षा करने का फैसला किया है. इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है. पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय को इस कमेटी का प्रमुख बनाया गया है. समिति से अपनी सिफारिशें तीन हफ्तों के भीतर सौंपने को कहा गया है. इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो आरक्षण के मानदंडों की समीक्षा करेगा. नीट पीजी (NEET-PG) में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 8 लाख रुपये की सालाना आय सीमा के पुनर्विचार का आश्वासन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था.
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केंद्र सरकार ने इसके लिए उच्चतम न्यायालय से चार हफ्ते की मोहलत मांगी थी. तब तक नीट की ऑल इंडिया कोटा में काउंसलिंग भी नहीं कराई जाएगी. मेडिकल में EWS कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए थे. नीट ऑल इंडिया कोटा में EWS कोटे में आरक्षण की सुविधा लेने के लिए शर्त 8 लाख रुपये सालाना तक की आमदनी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था.
Govt of India constitutes a 3-member committee for reviewing the criteria for Economically Weaker Sections (EWS) reservation. Former Finance Secretary Ajay Bhushan Pandey to head the committee. The committee has been requested to complete the task within 3 weeks.
— ANI (@ANI) November 30, 2021
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार से किस आधार पर आठ लाख रुपये की सालाना आय की ये सीमा तय की है. कोर्ट ने कहा था कि आखिर इसके आधार पर कोई सामाजिक, क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या डेटा तो सरकार ने जुटाया होगा? अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में जो लोग आठ लाख रुपये सालाना से कम आय वर्ग में हैं वो तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े माने जाते हैं लेकिन संवैधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता. कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मामले हैं जिनमें अदालत पड़ना नहीं चाहती.
कोर्ट ने स्वास्थ्य समेत कई मंत्रालयों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि उसे बताना होगा कि ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए NEET एग्जाम में अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण के क्या मानदंड है ? ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर के लिए 8 लाख रुपये मानदंड है, OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान पैमाना कैसे अपनाया जा सकता है. जबकि ईडब्ल्यूएस में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है.
कोर्ट ने कहा था, सरकार के पास कुछ जनसांख्यिकी या सामाजिक या सामाजिक-आर्थिक आंकड़ा होना चाहिए. आठ लाख रुपये की सीमा लागू करके आप असमान को समान बना रहे हैं. OBC में, 8 लाख से कम आय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं. संवैधानिक योजना के तहत, EWS सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं हैं. पीठ ने एक समय तो यह भी कह दिया था कि वो ईडब्ल्यूएस आरक्षण की अधिसूचना पर रोक लगा देगा.
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