
केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने सोमवार को यहां कहा कि नागर विमानन मंत्रालय अक्टूबर तक भारत में कम से कम दो मार्गों पर जलविमान (सीप्लेन) सेवा फिर से शुरू करेगा. पूर्वी क्षेत्र के नागर विमानन मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘एक समय में जलविमान का परिचालन होता था, लेकिन यह एक ही मार्ग तक सीमित था. सरकार ने जलविमान परिचालन के लिए दिशा-निर्देशों को सरल बना दिया है और हमें उम्मीद है कि अक्टूबर तक देश में अंडमान-निकोबार, केरल या आंध्र प्रदेश नेटवर्क पर दो जलविमान का परिचालन होगा.''
उन्होंने कहा कि इस सेवा को ओडिशा की चिल्का झील और पूरे पूर्वी तट तक भी विस्तारित किया जा सकता है. मंत्री ने कहा, ‘‘यह सेवा किसी भी जल निकाय पर शुरू की जा सकती है, जहां पांच फुट से अधिक गहराई और विमान उतारने के लिए 200 मीटर से अधिक जगह हो.''
नायडू ने कहा कि ‘वाटरड्रोम' की स्थापना, पायलट को प्रशिक्षण देने तथा समुद्री विमान संचालन से संबंधित नियमों और विनियमों को सरल बनाया गया है. मंत्री ने राज्यों से नेटवर्क का विस्तार करने के लिए नवीन विचारों और नये स्थानों के साथ आगे आने का भी आग्रह किया.
उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) की बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘फिलहाल 1,700 विमानों का ऑर्डर दिया गया है. प्रत्येक विमान के लिए 20 से 30 पायलट की आवश्यकता होती है. अकेले भारत में इस मांग को पूरा करने के लिए हमें हर साल 3,000 पायलट तैयार करने होंगे.”
उन्होंने कहा कि चूंकि भारत नागर विमानन क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनने की आकांक्षा रखता है, इसलिए एफटीओ का अंतरराष्ट्रीय स्तर का होना आवश्यक है. मंत्री ने घोषणा की, ‘‘इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय अक्टूबर से भारत में कार्यरत एफटीओ के लिए एक रैंकिंग प्रणाली शुरू करेगा.''
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