लोकसभा में जमकर हुआ हंगामा
नई दिल्ली:
संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में हंगामा यूं तो हर दिन हो रहा है, लेकिन मंगलवार को यह कई हदों को पार कर गया। यहां तक कि हाथापाई की नौबत तक आ गई। विपक्ष और सत्ता पक्ष इस बात पर उलझे थे कि ललितगेट और व्यापम के मुद्दे पर बहस किस नियम के तहत हो।
हंगामा बढ़ा तो स्पीकर ने कहा कि मैं लोकसभा टीवी से अनुरोध करती हूं कि वह देश को दिखाए कि किस तरह हमारे कुछ सांसद बर्ताव कर रहे हैं। स्पीकर के अनुरोध के बाद लोकसभा टीवी पर पहली बार कांग्रेस और लेफ्ट के हंगामे की पूरी तस्वीर दिखनी शुरू हुई। हंगामा होता रहा, सदन चलता रहा।
स्थगन प्रस्ताव के तहत ललितगेट और व्यापम पर बहस की मांग को ठुकराए जाने से कांग्रेस के उत्तेजित सांसदों में से एक के सुरेश ने डिप्टी स्पीकर के सामने कागज के टुकड़े उछाले और बिल्कुल सामने आकर नारेबाजी की। थंबीदुरई को उठकर जाना पड़ा।
फिर जब साढ़े तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो वेंकैया नायडू को कहना पड़ा कि कागज फेंकना चेयर की अवहेलना है। यह कोई तरीका नहीं। स्पीकर ने आकर मामला शांत करने की कोशिश की। कांग्रेस बहस के लिए अपनी शर्त पर अड़ी रही। मुख्य विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि हम बहस को तैयार हैं, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू का जोर था कि बहस होगी तो नियम 193 के तहत ही होगी।
सरकार और कांग्रेस के बीच वादविवाद इतना बढ़ा कि उमा भारती और कई बीजेपी सांसदों ने वेल में आकर कांग्रेसी सांसदों को सत्ता पक्ष की बेंच की तरफ आने से रोक दिया। दूसरी बार आधे दर्जन से ज्यादा बीजेपी सांसद वेल में आ गए। फिर कांग्रेस और बीजेपी सांसदों के बीच एक-दूसरे को धकेलने की कोशिश हुई। मामला हाथ से बाहर जाता देख सभा स्थगित कर दी गई।
हंगामे का आलम ऐसा था कि अमूमन शान्त बैठे रहने वाले लालकृष्ण आडवाणी भी एक बार उत्तेजित हो गए। उन्होंने वेंकैया नायडू की तरफ मुखातिब होकर हंगामे पर अपनी नाखुशी जताई और मामला संभालने को कहा। इसके बाद सदन में बीजेपी सांसदों ने सोनिया गांधी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। कुल मिलाकर हर पक्ष ने अपना जोर दिखाने की कोशिश की।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह कहते हुए लोकसभा बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी कि 'आज मैं बहुत दुखी हूं, 40 लोग 440 का हक मार रहे हैं।'
हंगामा बढ़ा तो स्पीकर ने कहा कि मैं लोकसभा टीवी से अनुरोध करती हूं कि वह देश को दिखाए कि किस तरह हमारे कुछ सांसद बर्ताव कर रहे हैं। स्पीकर के अनुरोध के बाद लोकसभा टीवी पर पहली बार कांग्रेस और लेफ्ट के हंगामे की पूरी तस्वीर दिखनी शुरू हुई। हंगामा होता रहा, सदन चलता रहा।
स्थगन प्रस्ताव के तहत ललितगेट और व्यापम पर बहस की मांग को ठुकराए जाने से कांग्रेस के उत्तेजित सांसदों में से एक के सुरेश ने डिप्टी स्पीकर के सामने कागज के टुकड़े उछाले और बिल्कुल सामने आकर नारेबाजी की। थंबीदुरई को उठकर जाना पड़ा।
फिर जब साढ़े तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो वेंकैया नायडू को कहना पड़ा कि कागज फेंकना चेयर की अवहेलना है। यह कोई तरीका नहीं। स्पीकर ने आकर मामला शांत करने की कोशिश की। कांग्रेस बहस के लिए अपनी शर्त पर अड़ी रही। मुख्य विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि हम बहस को तैयार हैं, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू का जोर था कि बहस होगी तो नियम 193 के तहत ही होगी।
सरकार और कांग्रेस के बीच वादविवाद इतना बढ़ा कि उमा भारती और कई बीजेपी सांसदों ने वेल में आकर कांग्रेसी सांसदों को सत्ता पक्ष की बेंच की तरफ आने से रोक दिया। दूसरी बार आधे दर्जन से ज्यादा बीजेपी सांसद वेल में आ गए। फिर कांग्रेस और बीजेपी सांसदों के बीच एक-दूसरे को धकेलने की कोशिश हुई। मामला हाथ से बाहर जाता देख सभा स्थगित कर दी गई।
हंगामे का आलम ऐसा था कि अमूमन शान्त बैठे रहने वाले लालकृष्ण आडवाणी भी एक बार उत्तेजित हो गए। उन्होंने वेंकैया नायडू की तरफ मुखातिब होकर हंगामे पर अपनी नाखुशी जताई और मामला संभालने को कहा। इसके बाद सदन में बीजेपी सांसदों ने सोनिया गांधी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। कुल मिलाकर हर पक्ष ने अपना जोर दिखाने की कोशिश की।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह कहते हुए लोकसभा बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी कि 'आज मैं बहुत दुखी हूं, 40 लोग 440 का हक मार रहे हैं।'
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