ज्ञानवापी विवाद : शिवलिंग की पूजा और कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से SC का इंकार

नई दिल्ली:

ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग' पर पूजा की इजाजत और कार्बन डेटिंग की नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत में मामला उठाइए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वो ट्रायल कोर्ट में मुद्दे को उठा सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अभी मुकदमा लंबित है तो सुनवाई नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी मामले में वाराणसी अदालत के फैसले का इंतजार करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के सुनवाई योग्य होने पर ट्रायल कोर्ट सुनवाई करता रहेगा. सुप्रीम कोर्ट मामले को लंबित रखेगा और अक्टूबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने वकील हरी शंकर जैन से कहा कि आप एक समझदार वकील हैं, आप जो याचिका में मांग कर रहे है वो आप सूट पर बहस के सुनवाई के दौरान मांग कर सकते है. आप अनुच्छेद 32 के तहत मांग नहीं कर सकते. 

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे आदेश के मुताबिक हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर अभी निचली अदालत में सुनवाई हो रही है. मस्जिद कमेटी की तरफ से बताया गया कि नियम 7/ 11 के तहत निचली अदालत में बहस चल रही है. हमने मामला जिला जज को स्थानांतरित कर दिया था. अगर जज मानते हैं कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है तो ये मुकदमा खत्म हो जाएगा. लेकिन अगर वह सुनवाई योग्य मानते हैं तो सबूत रखे जाएंगे. निचली अदालत का आदेश आने दीजिए, आपके कानूनी रास्ते को हम खुला रखेंगे. अगर आपके पक्ष में फैसला आया तो मामला खत्म. मान लीजिए अगर निचली अदालत का फैसला आपके खिलाफ जाता है तो फिर आपके पास कानूनी विकल्प हैं. 

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याचिका में क्या की गई मांग?
एक वकील, एक प्रोफेसर और पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित सात महिला याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक जीपीएस इस पूरे परिसर को इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रडार के जरिए जांचने का सबसे सुरक्षित सटीक और वैज्ञानिक तरीका है, जिसमें बिना किसी चीज से छेड़छाड़ किए तथ्य जुटाए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट से यह भी गुहार लगाई गई है कि सनातन धर्मियों की भावनाओं के मद्देनज़र कोर्ट ज्ञानवापी से मिले आदि विश्वेश्वर शिवलिंग को विश्वनाथ मंदिर के पास स्थापित करने और उसकी पूजा अर्चना उपासना करने की इजाजत काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को दें. क्योंकि काशी में विश्वनाथ मंदिर के चारों ओर पांच कोस यानी लगभग 15 किलोमीटर तक का दायरा काशी के अधिष्ठाता देव विश्वेश्वर का क्षेत्र है. याचिका में ज्ञानवापी सर्वे में मिले शिवलिंग पर काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को कब्जा लेने का निर्देश देने की मांग की गई है.