सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद हुए बड़े विवाद से जुड़े लोगों के खिलाफ कथित निष्क्रियता की आज कड़ी आलोचना की. अदालत ने दिल्ली पुलिस के मामले को संभालने के तौर-तरीके पर भी सवाल उठाया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "... जब आप दूसरों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करते हैं तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन जब यह आपके खिलाफ होता है तो किसी ने आपको छूने की हिम्मत नहीं की." 17 जून को मुंबई पुलिस की एक टीम शर्मा से पूछताछ करने के लिए दिल्ली आई, लेकिन पुलिस बल उसे नहीं ढूंढ पाई क्योंकि वो लापता हो गई थी.
नूपुर शर्मा के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि समाचार चैनल पर टिप्पणी करने के बाद शर्मा के खिलाफ सबसे पहले दिल्ली पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी.
"दिल्ली पुलिस ने क्या किया है? हमें अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें. टीवी पर बहस किस बारे में थी? केवल एक एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए? उन्होंने ऐसे मुद्दे क्यों चुने जो अभी अदालत के विचाराधीन है? क्या होगा यदि वह एक पार्टी की प्रवक्ता है? उसे क्या लगता है कि उसके पास सत्ता का बैकअप है और वह देश के कानून की परवाह किए बिना कोई भी बयान दे सकती है?" सुप्रीम कोर्ट ने पूछा.
नूपुर शर्मा के वकील ने जवाब दिया, "एंकर ने एक सवाल किया था जिसका उसने जवाब दिया."
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "तब तो एंकर के खिलाफ मामला होना चाहिए था."
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाई. शर्मा ने सुरक्षा खतरे का हवाला देते हुए कई राज्यों में उनके खिलाफ दायर सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी. अदालत ने उसकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसके वकील ने उसे वापस ले लिया.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है."
खाड़ी देशों ने भारत की आलोचना की थी, राज्यों में हिंसा फैल गई थी और राजस्थान के उदयपुर में एक हिंदू व्यक्ति की दो मुस्लिम पुरुषों ने कैमरे पर हत्या कर दी थी - यह सब पैगंबर पर शर्मा की टिप्पणी के बाद हुआ. उदयपुर मामले को आतंकी हमला करार दिया गया है और इसकी जांच देश की अहम आतंकवाद रोधी संस्था नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी ( एनआईए) कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,"उसे ( नूपुर शर्मा) धमकियों का सामना करना पड़ता है या वह सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है? जिस तरह से उसने देश भर में भावनाओं को भड़काया है, वह अकेले ही देश में जो हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार है ... हमने इस पर बहस देखी कि उसे कैसे उकसाया गया था. लेकिन जिस तरह से उसने यह सब कहा और बाद में कहा कि वह एक वकील है, यह शर्मनाक है. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि नूपुर शर्मा का नाम उनकी याचिका में क्यों नहीं था. नयायालय ने कहा,"वह यहाँ एक भ्रामक नाम के तहत क्यों है?"
नूपुर शर्मा के वकील ने उन राज्यों की लंबी सूची का हवाला दिया जहां निलंबित भाजपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. उनके वकील ने कहा, "उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ता है."
"यह दिल्ली, मुंबई, नागपुर से लेकर जम्मू और कश्मीर तक दूसरे राज्यों में फैला हुआ है," नूपुर शर्मा के वकील ने कहा. साथ ही पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी से जुड़े एक मामले का उल्लेख किया. "कानून हर नागरिक के लिए निर्धारित किया गया है," उन्होंने कहा.
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "हर नागरिक के लिए नहीं. एक पत्रकार के साथ कुछ विशेष व्यवहार किया गया." गौरतलब है कि, अर्नब गोस्वामी को नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अंतरिम जमानत दी गई थी. अदालत ने टीवी एंकर के खिलाफ मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई भी की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सुश्री नूपुर के वकील से कहा, "किसी विशेष मुद्दे पर एक पत्रकार को अपने विचार व्यक्त करने के अधिकार का मुद्दा एक प्रवक्ता से अलग है, जो परिणामों के बारे में सोचे बिना सोचे गैर-जिम्मेदाराना बयानों के साथ दूसरों को लताड़ रहा है."
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