दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन पर बैठी महिला पहलवानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों ने याचिका में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं. इस मामले पर अदालत द्वारा विचार किए जाने की जरूरत है.
दरअसल कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है. सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इसपर पूछा कि क्या याचिका है, कौन पक्षकार हैं और क्या मांग हैं. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सात महिला पहलवानों ने याचिका दी है. प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज नहीं की जा रही है और FIR दर्ज करने की याचिका है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और विचार की जरूरत है. महिला पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 28 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी.
सोमवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने धमकी दी थी कि अगर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई तो वे उच्चतम न्यायालय की शरण में जाएंगे. जबकि खेल मंत्रालय ने महासंघ के सात मई को होने वाले चुनावों पर रोक लगा दी और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को चुनाव कराने के लिए तदर्थ समिति के गठन के लिए कहा है.
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बता दें सरकार ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न और डराने धमकाने के मामले की जांच के लिए 23 जनवरी को छह सदस्यीय समिति गठित की थी. समिति ने पांच अप्रैल को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन सरकार ने अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है.
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